उत्तराखंड चुनावों में आधी आबादी का प्रभाव

होने वाले व‍िधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने उत्तराखंड में बड़े प्रयोग क‍िए हैं। मुख्‍यमंत्री के रूप में चार साल के कार्यकाल में प्रदेश की जनता ने तीन चेहरों को देखा है। बीजेपी आलाकमान ने यहां हाल ही पुष्‍कर स‍िंह धामी के रूप में नया मुख्‍यमंत्री बनाया है। ऐसे में एबीपी न्यूज़ ने सी वोटर के साथ मिलकर जनता का मूड जाना है। सर्वे के मुताब‍िक, बीजेपी युवा चेहरे के बल पर राज्‍य की सत्‍ता में दोबारा वापसी कर सकती है।

देहरादून/चंडीगढ़:

 उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की बाजी बिछ चुकी है. सभी पार्टियां जनता के बीच अपनी राजनीतिक उपस्थिति को लेकर चालें चल रही हैं. बीजेपी, कांग्रेस आप समेत तमाम राजनीतिक पार्टियां जनसभा और जनसंपर्क में जुटी हैं. लेकिन इनसब के बीच इस बार जो अलग नजारा सामने आ रहा है, वह है जनसभाओं में महिलाओं की उपस्थिति. फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में किस पार्टी का पलड़ा भारी रहेगा, लेकिन यह लग रहा है कि जिस भी पार्टी को उत्तराखंड की सत्ता मिले, उसमें महिला उम्मीदवारों का वोट अपनी खास भूमिका निभाएगा. राजनीति जनसभाओं में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की बढ़ती भागीदारी तो यही संकेत दे रही है.

2022 विधानसभा मिशन को लेकर भाजपा जन आशीर्वाद रैली निकाल रही है, तो कांग्रेस जन परिवर्तन रैली. दोनों दलों की राजनीतिक जनसभाओं में महिलाओं की भीड़ रही है. राजनीतिक दलों की सभा में महिला मतदाताओं की मौजूदगी अपनी अहमियत भी बता रही है. झारखंड की कांग्रेस विधायक और उत्तराखंड कांग्रेस की सहप्रभारी दीपिका पांडे सिंह भी इस रुझान को महसूस कर रही हैं. इसी आधार पर वह झारखंड की ही तरह इस बार उत्तराखंड में भी भाजपा सरकार को सत्ता से हटाने का दावा कर रही हैं. दीपिका कहती हैं कि झारखंड में भाजपा की डबल इंजन सरकार को महिलाओं ने ही गिराया है. दीपिका का मानना है कि ऐसे में उत्तराखंड की राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी भाजपा के लिए सही संकेत नहीं हैं.

महिलाओं की उपस्थिति को लेकर भाजपा की धाना भंडारी और कांग्रेस की हेमा बिष्ट भी कार्यकर्ताओं को यही संकेत देती दिख रही हैं. उनका मानना है कि एक दशक पहले तक घर संभाल रही महिलाएं अब जागरूक हुई हैं. घर-परिवार के कामों के साथ राजनीतिक दलों के कार्यक्रम में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती दिख रही हैं. इसलिए उत्तराखंड में 2022 सत्ता की चाबी इस बार महिलाओं के पाले में है. उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा है. बहरहाल, चाहे भाजपा हो या कांग्रेस – दोनों के कार्यक्रमों में महिलाएं की उमड़ी भीड़ बताती है कि 2022 में राजनीतिक दल चुनावी घोषणा पत्र में महिलाओं को नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं हैं