केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित अध्यादेश किसान विरोधी उन्हे वापिस लिया जाये : चंद्रमोहन
पंचकूला 8 सितंबर
हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री चंद्रमोहन ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि देश के किसानों के हितों पर कुठाराघात करने वाले , केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा किसानो के हितों के विरुद्ध पास किए गए तीन काले ,कृषि अध्यादेश वापिस लिए जांए ताकि देश के अन्नदाता को बड़ी कम्पनियों के शिकंजे में फसने से बचाया जा सके।
चन्द्र मोहन ने याद दिलाया कि किसान नेता चौधरी छोटूराम ने किसानों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त करवाने के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया और किसानों को उनका हक दिलवाया और देश की आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी ने किसानों को बेहतर सिंचाई, खाद और कीटनाशक दवाएं उपलब्ध करवाई जिससे देश खाद्यान्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बन सका । किसानों को उनकी उपज के उचित दाम मिले यह सुनिश्चित करने के लिए देश में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किए गए ताकि भोले -भाले किसानों को साहूकारों के चंगुल से बचाया जा सके।
उन्होंने कहा कि सारा देश आज कोरोना की विभीषिका से लड़ रहा है, इसकी आढ में भारतीय जनता पार्टी ने एक कुत्सित प्रयास करके देश के किसानों की आवाज को दबाने के लिए एक षड्यंत्र किया है ताकि किसान इन काले अध्यादेशों के विरुद्ध प्रर्दशन और रोष व्यक्त नहीं कर सकें और इन काले अध्यादेशों के द्वारा बड़ी-बड़ी कम्पनियों को फायदा पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि इन कृषि संबंधी अध्यादेशों के लागू होने से देश के 80 प्रतिशत छोटे किसानों की आजीविका पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे।
चन्द्र मोहन ने कहा कि देश की आजादी के इतिहास में किसानों को बर्बाद करने वाला, इससे बड़ा कोई दुर्दान्त और काला कानून नहीं हो सकता है। इन तीनों कृषि अध्यादेशों के माध्यम से किसानों को लम्बे-चौडे सब्जबाग दिखालाए गए हैं।इन के लागू होने से फसलों की खरीद पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा, बड़ी-बडी कम्पनियां किसानों की मजबूरी का लाभ उठाकर फसलों के दाम तय करेगी और एक तरह से किसानों का शोषण करेंगीं। देश के किसानों की यह त्रासदी रही है कि उनको भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने पिछले 6 वर्षों के दौरान केवल आश्वासन ही मिला है।
उन्होंने याद दिलाया कि भारतीय जनता पार्टी वर्ष 2014 के लोक सभा के चुनाव से पहले किसानों के हितों के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने और वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का झांसा दिया गया था। जिस का परिणाम आज देश के सामने है, किसानों को अपनी फैसले औने-पौने दामों पर बेचने पर विवश होना पड़ा है। कोरोना की आढ में प्रदेश में किसानों के गेहूं की लूट की गई। अब किसानों को सपना दिखाया गया है कि वह अपनी फसल दूसरे प्रदेशों में भी बेच सकते हैं। यह सपना देखने में कितना हसीन लगता है।
चन्द्र मोहन ने तंज कसते हुए कहा कि क्या एक 2 एकड़ जमीन का मालिक किसान अपनी फसल को बेचने के लिए दूसरे राज्यों में ले जा कर बेच सकता है। देश में 12 करोड़ किसानों में से 80 प्रतिशत किसान 5 एकड़ से कम जमीन के मालिक हैं। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के नाम पर भी किसानों के साथ भद्दा मजाक किया गया है।
पिछले 6 वर्षों के दौरान गेहूं का औसतन समर्थन मूल्य हर साल 4 प्रतिशत,धान का 5 प्रतिशत और गन्ने का भाव 1प्रतिशत बढा है। उन्होंने याद दिलाया कि इस वर्ष के लिए केन्द्र सरकार ने गन्ने के मूल्य में 10 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है जबकि डीजल के दामों में पिछले दो महीने में 11 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है।
चन्द्र मोहन ने केंद्र सरकार से मांग की है कि किसानों की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का बिल पास किया जाए और आढ़तियों की आजिविका और मण्डियो को चौपट करने वाले काले कानूनों को वापस लिया जाए ताकि देश के किसान की दूर्दशा होने से उसे बचाया जा सके। कांग्रेस पार्टी सदैव ही किसानों के साथ खड़ी रही है और उन्होंने भरोसा दिलाया कि भविष्य में भी अगर किसानो के साथ अन्याय हुआ तो कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी हूं कर अन्याय का विरोध करेगी।
1955 मैं जो कानुन लागू था कोई भी व्यापारी या फ़र्म ऐक सिमीत आँकड़े तक खदान ख़रीद सकते थे जिससे जमा खोरी की गुंजाइश कम होती थी लेकिन यह नये अध्यादेश आने से पुराना कानुन ख़त्म कर दिया
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