राम मंदिर की आधारशिला प्रधान मंत्री द्वारा समय पर और निर्विघ्न रखी गयी

ॐ जय श्री राम ॐ

आज 528 वर्षों के पश्चात अयोध्या जी में सनातन समाज का एक संकल्प पूरा हुआ। इसी संकल्प के साथ अयोध्या जी में राम जन्मभूमि स्थल का शिलान्यास विधिवत पूर्ण हुआ।

अयोध्या जी (ब्यूरो) – 5 अगस्त:

अयोध्या जी में राम मंदिर निर्माण बनने का बरसों का इंतजार आज खत्म गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधिवत भूमि पूजा के बाद राम मंदिर की आधारशिला रखी. राम मंदिर के शिलान्यास समारोह का शुभ मुहूर्त 32 सेंकेड का था. 12 बजकर 44 मिनट 8 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 44 मिनट 40 सेकेंड तक रहा. ठीक समय पर पीएम मोदी ने मंदिर के लिए पहली ईंट रखीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अयोध्या जी में भूमि पूजन के साथ ही राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से शुरू हो जाएगा. इसके बावजूद सबके मन में सवाल यही है कि भव्य राम मंदिर कब तक बनकर तैयार हो जाएगा और श्रद्धालुओं को रामलला के दर्शन करने का मौका कब मिलेगा. ऐसे में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने राम मंदिर की सीमा तय कर रखी है और 2024 के पहले अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने अयोध्या जी में मंदिर निर्माण का साढ़े तीन साल में हर हाल में बनाने का टारगेट रखा है. ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण के लिए लार्सन एंड टूब्रो कंपनी को काम सौंपा है. हालांकि, ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण के लिए 32 महीने के अंदर का वक्त दे रखा है ताकि अगर कुछ थोड़ा बहुत काम रह जाए तो उसे बाकी समय में पूर कर लिया जाए.

आज अयोध्या जी में पहुंचते ही श्री रामलला के दर्शन करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हनुमान गढ़ी गए. ऐसे में हर एक के मन में ये उत्सुकता है कि आखिर श्री रामलला से पहले हनुमान गढ़ी के दर्शन प्रधानमंत्री ने क्यों किए? आखिर इसका इतिहास या धार्मिक महत्व क्या है? दरअसल वाराणसी में जिस तरह से काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है और वहां जाना जरूरी होता है, ये उसी तरह की मान्यता है कि माना जाता है कि लंका विजय के बाद हनुमान जी सरयू नदी के दाहिनी तट पर एक ऊंचे टीले पर गुफा में रहने लगे थे और यहीं से वो अयोध्या जी की रक्षा करते थे. इसी जगह को बाद में हनुमान गढ़ी या रामकोट कहा जाने लगा. कालांतर में यहां एक विशाल मंदिर बना दिया गया और जिस तरह से गुफा होती है, उसी तरह से इस मंदिर में नीचे जाने के लिए 76 सीढ़ियां हैं. वीर आंजनेय हनमान अयोध्या जी के नगर कोतवाल हैं। नगर में कुछ भी शुभ करना हो तो नगर कोतवाल की अनुमति लेना आवश्यक होता है पर आज तो प्रधान मंत्री मोदी ने नगर कोतवाल पवनपुत्र हनुमान को प्रार्थना अरते हे आग्रह किया है की आज जो राम काज आरंभ हो रहा है अब वह उसकी भी निगरानी करें।

इस दौरान उन्होंने राम मंदिर के प्रांगण में पारिजात का पौधा लगाया. कहा जाता है कि पारिजात वृक्ष को देवराज इंद्र ने स्वर्ग में लगाया था. इसके फूल सफेद रंग के और छोटे होते हैं. ये फूल रात में खिलते हैं और सुबह पेड़ से स्वत: ही झड़ जाते हैं. यह फूल पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है. 

इस वृक्ष को लेकर कई हिन्दू मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के फूल अत्यंत प्रिय हैं. पूजा-पाठ के दौरान मां लक्ष्मी को ये फूल चढ़ाने से वो प्रसन्न होती हैं. खास बात ये है कि पूजा-पाठ में पारिजात के वे ही फूल इस्तेमाल किए जाते हैं जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते हैं. इस वृक्ष को स्वयं भगवान श्रीकृष्ण स्वर्ग से धरति पर लाये थे।

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