क्या मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद ही तलाश रहे हैं अपना उत्तराधिकारी ?

 जल्द होने जा रही है हरियाणा भाजपा के नए सदर की घोषणा।

धर्मपाल वर्मा, चंडीगढ़:

धर्म पाल वर्मा
(राजनैतिक विश्लेषक)

              राजनीति में  अमूमन कमजोर व्यक्ति को सपोर्ट करने की परंपरा रही है परंतु कोई राजनीतिक दल वह भी राष्ट्रीय,  यदि अध्यक्ष पद के लिए किसी मजबूत व्यक्ति को आगे लेकर आए हैं तो आप यह मानकर  चल सकते हैं कि ऐसा एक बड़ी रणनीति के तहत बड़ी योजना को क्रियान्वित करने के लिए किया जा रहा हैl यह खबर 3 दिन से चल रही है कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी अपने मौजूदा अध्यक्ष सुभाष बराला को आगे अध्यक्ष बनाए रखने के पक्ष में नहीं है वह भी तब जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल उन्हें एक और मौका देने के पक्षधर थे।

 इससे पहले खबर आई थी कि मुख्यमंत्री हरियाणा हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन आर एस एस से जुड़े संस्कारी  नेता पंडित संदीप जोशी को अध्यक्ष पद के रूप में आगे लेकर आ रहे हैं परंतु अचानक केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर का नाम आगे आ गया। इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण है।

 सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री मनोहर लाल को यह सीधा संदेश दे दिया गया है कि मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें मौजूदा कार्यकाल के बीच में ही यह पद छोड़ना पड़ेगा। मुख्यमंत्री समझते हैं कि यदि उनकी जगह कोई विरोधी इस कुर्सी पर आ गया तो वह शायद ठीक  नहीं रहेगा l ऐसे में पानी आने से पहले बांध बांध लेना जरूरी है के मूल मंत्र को मध्य नजर रखते हुए उन्होंने इस योजना को कार्य योग देने का संकेत दे दिया है कि क्यों न अपने नजदीकी विश्वसनीय मूल रूप से  संघ से जुड़े खुद को साबित कर चुके दक्षिणी हरियाणा का प्रतिनिधित्व करने वाले पिछड़े वर्ग से  संबंधित केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर को आगे लेकर चला जाए।

 बताया जा रहा है कि योजना यह है कि कृष्ण पाल गुर्जर केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे देंगे और एक डेढ़ साल हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में पार्टी को मजबूत करने के काम में लगेंगे। मुख्यमंत्री उनकी मदद करेंगे और वे मुख्यमंत्री की मदद करेंगे। यह जुगलबंदी हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी को मजबूती दे सकती है। यदि वास्तव में ऐसा हुआ तो फिर भाजपा को इसका पूरे देश में भी लाभ मिलेगा।

 इस तथाकथित योजना को आसानी से समझा जा सकता है। जैसे कि  एक डेढ़ साल के बाद यदि कृष्ण पाल गुर्जर मुख्यमंत्री बनते हैं तो इसके दो बड़े लाभ  होंगे। एक तो भारतीय जनता पार्टी  राज्य के गैर जाट  मतदाताओं  का ध्रुवीकरण करने में सफल रहेगी दूसरे पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को भाजपा से जोड़ने में और  जीटी रोड बेल्ट के मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में बनाए  रखने में मदद मिलेगी। भारतीय जनता पार्टी दक्षिणी हरियाणा की लगभग दो दर्जन सीटों  के मतदाताओं को यह संदेश देने में सफल हो सकती है कि लंबे समय से सत्ता में रही  कांग्रेस पार्टी ने दक्षिणी हरियाणा के किसी नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया और यह काम भारतीय जनता पार्टी करके दिखाएगी। कृष्ण पाल गुर्जर जिस समुदाय से ताल्लुक रखते हैं वह अब पिछड़ा वर्ग मैं आता है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी पूरे प्रदेश के पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को प्रभावित करने में सफल हो सकती है। पार्टी ने इसी मकसद से रामचंद्र जांगड़ा को राज्यसभा भेजा था। अब भारतीय जनता पार्टी पिछड़े वर्ग की वर्ग के और भी में भी बैलेंस बनाने में  सफल रहेगी।

 कृष्णपाल एक अनुभवी और निर्विवादित नेता है और राजनीतिक समझ में उनका कोई सानी नहीं है। दक्षिणी हरियाणा के एक बड़े नेता केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से उनके  गहरे परिवारिक संबंध है। इससे पार्टी एक नया तालमेल बनाने में भी सफल हो सकती है।

यद्यपि अभी नए अध्यक्ष की घोषणा में एक-दो दिन बाकी है परंतु अभी तक कृष्णपाल गुर्जर का नाम सबसे ऊपर चल रहा है।

गुर्जर ने अपना राजनीतिक जीवन फरीदाबाद नगर निगम में निगम पार्षद का चुनाव जीतकर शुरू किया। यह ट्रेनिंग उनके आदमी काम आ रही है। उन्होंने महेंद्र प्रताप जैसे दिग्गज कांग्रेसी नेता को चुनाव में पटखनी देकर यह सिद्ध किया था कि वे राजनीति के सारे मूल मंत्र जानते हैं। उनकी राजनीतिक परिपक्वता का अनुमान आप इस बात से भी लगाया जा सकता  हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने फरीदाबाद जिले में तिगांव विधानसभा क्षेत्र से अपने बेटे के लिए टिकट मांगी थी परंतु पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया और राजेश  नागर को प्रत्याशी बना दिया। बताते हैं कि बेटे का प्रतिद्वंदी होते हुए भी कृष्ण पाल गुर्जर ने राजेश नागर को चुनाव में व्यावहारिक मदद देकर जिताया। इस बात के लिए पार्टी ने उनकी कमर थपथपाई थी। कृष्ण पाल  मुख्यमंत्री बने तो यही सीट उनके  काम भी आ सकती है।

कृष्ण पाल गुर्जर  ने  फरीदाबाद में लोकसभा के दोनों चुनाव शानदार तरीके से जीते। 2014 में तो वे पूरे देश में सबसे ज्यादा मतों के अंतर से चुनाव जीते थे lसंयोग से कृष्ण पाल गुज्जर है और गुर्जर मतदाता उतरी हरियाणा दक्षिण हरियाणा मध्य हरियाणा मैं कई जगह अच्छा दखल रखते हैं। उनके अध्यक्ष बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी को काफी लाभ हो सकता है।

हम पहले ही बता चुके हैं कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद कृष्ण पाल गुर्जर से भी एक बंद कमरे में आधा घंटा बात की थी। इसके बाद से ही कयास लगाए जा  रहे हैं कि मनोहर लाल ने रिप्लेसमेंट के दृष्टिगत उपरोक्त योजना को सिरे चढ़ाने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। उन्हें पता है कि गुर्जर पहले संगठन में काम करते हुए भाजपा को मजबूत करेंगे और फिर उनकी जगह मुख्यमंत्री बने तो उन्हें केंद्र में मंत्री बनने का मौका मिलेगा और कृष्ण पाल गुर्जर के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के मुकाबले अनिल विज जैसे नेता भी पीछे रह जाएंगे l मुख्यमंत्री मनोहर लाल नहीं चाहेंगे कि  वह हटे तो उनका कोई विरोधी मुख्यमंत्री बने  lयह राजनीति भी है और वह  माहौल बनाते नजर आ रहे हैं।  हम कह सकते हैं कि माहौल बनाना ही राजनीति है।

 अभी अध्यक्ष का नाम घोषित होने में एक-दो दिन और लग सकते हैं अधिकांश राजनीतिक विश्लेषक यही मानकर चल रहे हैं कि कृष्ण पाल गुर्जर भारतीय जनता पार्टी के लिए हरियाणा के अध्यक्ष के रूप में उपयुक्त उम्मीदवार हैं लेकिन पाठक यह भी मान कर चलें कि राष्ट्रीय दलों में अंतिम क्षणों में कुछ भी फेरबदल हो जाया करता है। देखते हैं आगे आगे होता है क्या ?

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