हरियाणवी फिल्मों को बालीवुड में एक नई पहचान दिलवाने के लिए खट्टर के प्रयास रंग लाये

चंडीगढ़:

  हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की हरियाणवी संस्कृति व हरियाणवी फिल्मों को बालीवुड में एक नई पहचान दिलवाने के लिए की गई पहल के सकारात्मक परिणाम आने लगे हैं। मंत्रिमण्डल बैठक में लिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत हरियाणा फिल्म प्रोत्साहन बोर्ड का गठन किया था और उसी कड़ी में गठित स्क्रिप्ट कमेटी ने पंचकूला के सैक्टर 1 स्थित लोक निर्माण विश्राम गृह के सभागार में 14 व 15जनवरी, 2020 को दो दिनों में हरियाणवी व गैर-हरियाणवी 22फिल्मों का मूल्यांकन किया।

        हरियाणवी फिल्मों के जाने-माने चेहरे यशपाल शर्मा, बालीवुड अभिनेत्री मीता वशिष्ठ तथा हरियाणवी फिल्म पगड़ी के निदेशक राजीव भाटिया इस स्क्रिप्ट कमेटी के सदस्य हैं। फिल्मों का मूल्यांकन करने के बाद संयुक्त रूप से एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोंधित करते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान हरियाणा सरकार ने हरियाणवी भाषा व हरियाणवी फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पहली बार फिल्म नीति बनाई है। 

      उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत हरियाणा की धरती पर बनाई जाने वाली अन्य भाषा की फिल्मों को हरियाणवी फिल्मों के समान आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाएगा, जो एक सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के निदेशक पी.सी.मीणा ने स्वयं यहां कुछ फिल्मों को उनके साथ बैठकर देखा है, जो इस बात को दर्शाता है कि हरियाणा सरकार अपनी फिल्म नीति के प्रति कितनी गंभीर है।

        एक प्रश्न के उत्तर में यशपाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी फिल्म ‘दादा लख्मीचंद’ यहां दिखाई है, जिसकी शूटिंग सिरसा जिले के जमाल, गौसांईयां तथा बकरियांवाली गांव में की गई है। पंडित लख्मीचंद के पैतृक गांव में भी इस फिल्म के दृश्यों की शूटिंग की गई। उन्होंने बताया कि यह फिल्म दो भागों में है, जिसका शूटिंग का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और ऐसी उम्मीद है कि आगामी जुलाई माह तक यह फिल्म रिलीज हो जाएगी। उन्होंने बताया कि हरियाणवी संस्कृति से जुड़ी यह फिल्म दर्शकों को काफी पसंद आएगी तथा हरियाणा की माटी को दर्शाती यह फिल्म आने वाले समय में निश्चत रूप से अपनी एक अलग पहचान बनाएगी।

        स्क्रिप्ट कमेटी के सदस्यों ने विजेता दहिया की हरियाणवी फिल्म ‘दरारें’ की भी सराहना की। जिन फिल्मों को स्क्रिप्ट कमेटी ने देखा उनमें हरियाणवी फिल्मों में ‘दादा लख्मीचंद’ के अलावा, ‘हे राम’ ‘बनो तेरा हस्बैंड’, ‘बदला’, ‘बो मैं डरगी’, ‘कर्मक्षेत्र’ ,‘छोरियां छोरों से कम नहीं होती’, तथा ‘दरारें’ शामिल है, जबकि गैर-हरियाणवी तथा लघु फिल्मों की श्रेणी में  ‘जब से मिली है वो’, ‘48कोस’, ‘जंगम प्राईस्ट आफ लॉर्ड शिवा’, ‘आधी छुट्टी सारी’, ‘तुर्रम खां’, ‘वन्स अपॉन ए टाईम इन अम्बाला’, ‘तेरी मेरी गल बन गई’, ‘भिवानी-वल्र्ड आफ वेनसिंग वॉल पेटिंगस’,  ‘गोल गप्पे’ तथा  ‘ये बेचारा मर्द’ शामिल हैं। इसी प्रकार, पंजाबी फिल्मों में  ‘जख्मी’ तथा  ‘वियाह दे वाजे’ रहे।

        इस अवसर पर सूचना,जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के निदेशक पी.सी.मीणा, हरियाणा फिल्म नीति के प्रावधान के तहत गठित शासी परिषद के सदस्य हरीश कटारिया तथा इन दर्शायी गई फिल्मों के प्रोडयुसर, निदेशक व कलाकार भी उपस्थित थे।

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