केन्द्र सरकार द्वारा बनाये कानून को मानना राज्य सरकार के लिये बाध्यकारी

दिनेश पाठक अधिवक्ता, विधि प्रमुख विश्व हिन्दु परिषद

देश मे इन दिनो कुछ राजनैतिक दलो एवं समुदाय विशेष द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सी ए ए)और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ( एन आर सी) पर विरोध प्रदर्शन कर रहे है जहां हिंसा का बोलबाला पूरे देश मे नजर आ रहा है !

पूरे देश मे अराजकता का माहौल है ऐसे समय मे संवैधानिक पद पर बैठे लोगों का यह बयान कि भारतीय संसद द्वारा पारित कानून को वो अपने राज्यो में लागू नही करेंगे आन्दोलित लोगो को और भ्रमित करता है!
हाल ही के दिनो मे भारतीय संसद ने नागरिकता संशोधन बिल पारित किया जो राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित होने के बाद कानून का रुप ले चुका है जबकि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के बारे मे सरकार मे अभी कोई चर्चा भी नही हुई है इस बीच लगभग दस राज्यों के गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री जिनमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ,राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रमुख है का यह कहना कि वो नागरिकता संशोधन कानुन और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को अपने प्रदेश मे लागू नही करेंगे कितना जायज है !

क्या किसी संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति भारतीय संसद द्वारा बनाये कानून को लागू करने से मना कर सकता है? या यह लोगो में भ्रम पैदा कर पद का दुरुपयोग राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिये ऐसे बयान दिये जा रहे है !जबकि भारतीय संविधान में स्पष्ट कहा गया है कि कोई भी राज्य सरकार केन्द्र सरकार के बनाये कानून और उसके द्वारा दिये गये निर्देशों को मानने के लिये वह बाध्य है वह इसे मानने से इंकार नही कर सकती !
केन्द्र सरकार के कानून एवं निर्देशो का मानना किसी भी राज्य सरकार का दायित्व है यदि ऐसा करने से कोई भी राज्य सरकार इंकार करती है तो वह भारतीय संविधान मे दिये प्रावधानो की पालना नही करना माना जायेगा ! जिसके लिये राज्यों के खिलाफ कार्यवाही भी की जा सकती है !

भारतीय संविधान मे राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के मध्य मुद्दो अथवा अधिकारों के बंटवारे के लिये विभिन्न अनुसूचियों को परिभाषित किया गया है इनमें से महत्वपूर्ण अनुच्छेद 245 और अनुच्छेद 246 के अन्तर्गत आते हैं!
भारतीय संविधान की सातवी अनुसूची राज्यो और संघ के मध्य अधिकारों को उल्लिखित करती है ! इसमें तीन सूचियों है
(1) संघ सूची (2) राज्य सूची (3) समवर्ती सूची
केन्द्रीय सूची की प्रविष्टि 17 में नागरिकता, देशीकरण,और अन्यदेशीय प्रविष्टि 18 में प्रत्यर्पण,प्रविष्टि 19 मे भारत में प्रवेश और उसमें उत्प्रवास और निष्कासन, पासपोर्ट और बीजा के बारे मे कानून बनाने का अधिकार देता है ! यानि यह स्पष्ट है कि नागरिकता के बारे में कानून बनाने का अधिकार और घुसपैठियों को बाहर निकालने का अधिकार केन्द्र सूची मे है और केन्द्र सरकार को इन पर कानून बनाने का अधिकार है ! इस प्रकार इन बिषयों पर केन्द्र सरकार को कानून बनाने का अधिकार है और राज्य सरकारों का दायित्व है कि वह ऐसे कानून का पालन करे और लागू करे !
सी ए ए नागरिकता कानून से सम्बंधित है और राज्य सरकारें इसे लागू न करने को कहती हैं या लागू नही करती है तो यह संविधानिक तंत्र का फेल माना जायेगा जिसका परिणाम संविधान के अनुच्छेद 356को लागू कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की व्यवस्था है,हो सकता है !
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 73 के अनुसार केन्द्र सरकार उन बिषयों पर कोई भी कार्यकारी आदेश जारी कर सकती है जिन पर संसद को कानून बनाने का अधिकार है ! इसके तहत केन्द्र सरकार नागरिकता कानून को लागू करने का कार्यकारी आदेश जारी करने की शक्ति रखती है !
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 256 के अनुसार ” प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जायेगा जिससे संसद द्वारा बनाई गयी विधियों का और ऐसी विद्यमान विधियों का जो उस राज्य मे लागु है,अनुपालन सुनिश्चित रहे और संघ की कार्यपालक शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निर्देश देने तक होगा जो भारत सरकार को उस प्रयोजन के लिये आवश्यक प्रतीत हो ” अर्थात राज्य की कार्यपालिका शक्तियाँ इस तरह प्रयोग मे लाई जायें कि संसद द्वारा पारित कानूनो का पालन हो सके ! केन्द्र राज्य को ऐसे निर्देश दे सकता है जो इस सम्बन्ध में आवश्यक हों !
संविधान का अनुच्छेद 257 कुछ मामलो मे राज्य पर केन्द्र के नियंत्रण की बात करता है ! राज्य कार्यपालिका शक्ति इस तरह प्रयोग ली जाये कि वह संघ कार्यपालिका से संघर्ष न करे ! केन्द्र अनेक क्षेत्रो मे राज्य को उसकी कार्यपालिका शक्ति कैसे प्रयोग करे इस पर निर्देश दे सकता है ! यदि राज्य निर्देश पालन करने मे असफल रहा तो राज्य मे राष्ट्रपति शासन तक लगाया जा सकता है!

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 258 (2) के अनुसार संसद राज्य प्रशासनिक तंत्र को उस तरह प्रयोग लेने की शक्ति देता है जिनसे संघीय विधि पालित हो !
अनुच्छेद 365 के अनुसार संघ द्वारा दिये निर्देशो का अनुपालन करने मे या उनको प्रभावी करने मे असफल होने पर राष्ट्रपति के लिये यह मानना विधि पूर्ण होगा कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है जिसमे उस राज्य का शासन संविधान के उपबन्धो के अनुसार नही चलाया जा रहा ! संविधान का अनुच्छेद 355 कहता है कि राज्य को बाहरी और अंदरूनी खतरे से सुरक्षित रखना केन्द्र की जिम्मेदारी है ! तथा केन्द्र देखे कि राज्य की सरकार संविधान के मुताबिक चल रही है !

इस प्रकार भारतीय संविधान मे दिये गये विभिन्न प्रावधानो के तहत भारतीय संसद मे पारित किये नागरिकता संशोधन कानून (सी ए ए) या राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एन आर सी) यदि संसद पारित करती है तो देश की प्रत्येक राज्य सरकार को लागू करना अनिवार्य है ! अन्यथा संविधान तंत्र का फेल माना जायेगा ! और केन्द्र सरकार संविधान के अनुच्छेद ,356 का उपयोग कर राज्य मे राष्ट्रपति शासन लगा सकता है ! इस प्रकार विभिन्न संवैधानिक पदो पर बैठे मुख्यमंत्री का यह बयान जारी करना कि वह नागरिकता संशोधन एक्ट (सी ए ए) या राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को अपने राज्य मे लागू नही करेगें गैर संवैधानिक है तथा लोगो को भ्रमित करने वाला है !

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