स्वयंभू पैगंबर इलाज के नाम पर चला रहे मिशनरी अजेंडा और व्यवसाय

आस्था के नाम पर इसे खिलवाड़ कहें या सुनियोजित ढंग से मिशनरी का प्रचार और लुके छुपे ढंग से धर्म परिवर्तन ,ये संस्थाएं क्या किसी मिशन के एजेंट के तौर पर काम कर रही हैं या परमेश्वर के नाम पर तथाकथित चमत्कार दिखाकर अपना व्यवसाय का रही हैं । आमतौर पर बिहार या झारखंड जैसे पिछड़े इलाकों से ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन की खबरें आती रहती हैं लेकिन पंजाब हरियाणा दिल्ली और अन्य राज्य भी इससे अछूते नहीं।

सारिका तिवारी, चंडीगढ़ 18 दिसंबर

इक्कीसवीं शताब्दी में मनुष्य जहां मंगल ग्रह तक पहुंच गया है वही अपनी जीवन समस्याओं के लिए 14 वीं शताब्दी के उपाय अपनाते कुछ मनुष्यों को देख आश्चर्य होता है।

आस्था के नाम पर तमाशा करते कुछ लोग और संस्थाएं समय-समय पर लोगों को बरगला कर अपना उल्लू सीधा कर रही है । हम आधुनिक शहर चंडीगढ और इसके आसपास ही देखें तो जगह-जगह पर आजकल प्रार्थना के होर्डिंग लगे दिखाई दे जाएंगे ।

मिनिस्ट्री के नाम पर और यीशु मसीह के नाम पर यह संस्थाएं कई कई तरह से लोगों को आकर्षित करती हैं जो लोग निजी जीवन में झेल रहे हैं । शहर के आसपास जमीन खरीद कर या पट्टे पर लेकर ये लोग एक तरफ तो चर्च चला रहे हैं दूसरी ओर बात करने पर कहते हैं कि यह कोई धर्म नहीं मात्र समाज सेवा के लिए संस्था है। इस समय शहर और इसके आसपास पचास के करीब ऐसी चर्च चल रही हैं।

ऐसे ही जीरकपुर में गांव सनौली मैं है जहां हमारी टीम ने दौरा किया तो वहां मौजूद संस्था की प्रवक्ता गीतू सैनी ने बताया की संस्था धर्म से नहीं, यीशु मसीह और ईश्वर की शक्तियों से लोगों का इलाज करती है । उन्होंने बताया की कुछ वर्ष पहले उनके परिवार के एक सदस्य पर एक बुरी आत्मा का साया आया था जोकि यहां की संचालिका कंचन मित्तल द्वारा प्रार्थना करने पर चला गया । इसी तरह अन्य लोग भी कोई अपने शरीर की किसी बीमारी या अन्य किसी सामाजिक समस्या से ग्रस्त हैं।

इन प्रार्थना सभाओं में और पाया गया है कि ऐसे शिक्षत और आकर्षक व्यक्तित्व के लोगो की खेप तैयार की जाती है जो कि नवागुन्तकों को बातचीत कर आकर्षित करते हैं और समय आने पर पैसे के रूप में कुछ राशि भी उनसे ली जाती है ।

ऐसी ही एक अन्य संस्था प्रॉफेट (पैगम्बर) बृजेंद्र सिंह जिससे इस रिपोर्टर ने जब 0172-5100777 पर बात की तो पता चला कि प्रॉफेट बृजेंद्र सिंह से अपॉइंटमेंट लेने के लिए पहले चर्च जाकर 2000 रु का मासिक शुल्क जमा करवाना होगा जिसके पश्चात पास्टर से मुलाकात करवाई जाएगी उसके बाद वह ही प्रोफेट बजिंदर सिंह से मिलने के लिए अपॉइंटमेंट देंगे उसके बाद ही इंटरव्यू लिया जा सकता है ।

आपको बता दें कि इन चर्चों का संचालन एक परिवार के हाथ ही है।

लोगों की तकलीफ हो और आस्था से खिलवाड़ कर अपनी जेब भरने वाले यह लोग न केवल स्थानीय प्रशासन और मीडिया में अपना प्रभाव रखते हैं बल्कि तार्किक जिज्ञासु लोगों को मुख्य संचालकों से मिलने से दूर रखा जाता है।

धर्मपरिवर्तन के खिलाफ जब से कानून बना है तभी से यह तथाकथित ministries कुकरमुत्तों की तरह उभरीं हैं। अजेंडा मात्र धन कमाना ही नहीं है अपितु एक छुपि हुई कार्यसूची के तहत धर्म परिवर्तन भी है। जिसे बड़ी ही खामोशी से कार्यान्वित किया जा रहा है, जिस पर संबन्धित विभाग और मंत्रालय आँखें मूँदे बैठे हैं.

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply