वामपंथियों के इतिहास पर भरी पड़ा राम लल्ला का अस्तित्व

इसमे विचारणीय प्रश्न यह है कि इस सर्वेक्षण को रोमिला थापर और इरफान हबीब जैसे वामपंथि झुठला रहे थे और इसका मजाक बना रहे थे तो इनके लिखे साहित्य कितने विश्वसनीय है ?
अब जब विवाद का निस्तारण हो चुका है सभी पक्ष संतुष्ट है पूरे देश के नागरिक सम्मान कर रहे है केन्द्र सरकार का दायित्व है कि शीघ्र ही इस फैसले का ट्रस्ट बनाकर क्रियान्वयन करे

दिनेश पाठक अधिवक्ता, राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर। विधि प्रमुख विश्व हिन्दु परिषद

आखिर देश का बहुप्रतिक्षित निर्णय एक ऐतिहासिक निर्णय के रुप मे सामने आ ही गया ! देश की सरकारों और अदालतों ढुलमुल रवैये से परिचित देश की जनता के सामने मुख्यन्यायधीश रंजन गोगोई ने न्यायपालिका की समृद्ध ,बृहद एवं सम्मानजनक छवि पेश की राम जन्मभूमि के निर्णय से देश के आमजन मे न्यायपालिका के प्रति आस्था मे अकल्पनीय वृद्धि हुई है !

1949 से लम्बित प्रकरण रामजन्म भूमी बाबरी मस्जिद का सत्तर साल बाद उस समय निपटारा हो गया जब देश की सर्वोच्च अदालत ने शनिवार 9 नवम्बर को ऐतिहासिक फैसला सुनाया ।

माननीय मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के अन्य सदस्य माननीय न्यायाधीश गण जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस चन्द्रचूड, जस्टिस ए नजीर ने चालीस दिन लगातार चली सुनवाई को निर्णय तक पहुंचा कर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुये रामलला को अयोध्या मे विरजमान कर दिया। देश के लिये सबसे अच्छी खबर इस निर्णय मे यह रही कि निर्णय बहुमत से नही सर्वमत से आया पीठ के किसी भी सदस्य ने किसी भी मुद्दे पर अपने सहयोगी न्यायाधीश से असहमति नही जताई सबने पूरा निर्णय एकमत होकर दिया जो इस निर्णय को ऐतिहासिक बनाता है जो न्यायपालिका के लिये एक लैणडमार्क निर्णय होगा ।

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बिल्कुल अन्तिम है और देश के हर नागरिक को इसका सम्मान करना चाहिये हालांकि कोई भी पक्ष इसका रिव्यू कर सकता है जिसे सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही सुन सकता है ।

इस ऐतिहासिक फैसले सबसे बडी बात यह रही कि न्यायालय ने इसका फैसला आस्था पर न करके मामले के तथ्य और सबूतो के आधार किया जिस कारण फैसला सर्वानुमति से आया ! इस फैसले मे तथ्यो का गहराई से विश्लेषण किया सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली स्थान पर नही बनी इसके नीचे कोई ढांचा था लेकिन वो ढाचा इस्लामिक नही था इसके लिये सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तथ्यो को सही माना जिसने अपने सर्वेक्षण मे बाबरी मस्जिद ने नीचे धर्मिक ढांचा माना और इस सर्वेक्षण को सुप्रीम कोर्ट नकार नही सका। इसमे विचारणीय प्रश्न यह है कि इस सर्वेक्षण को रोमिला थापर और इरफान हबीब जैसे वामपंथि झुठला रहे थे और इसका मजाक बना रहे थे तो इनके लिखे साहित्य कितने विश्वसनीय है ?

सुप्रीम कोर्ट ने तथ्यो को देखते हुये यह भी स्पष्ट किया कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर अपना निर्बाद अधिकार को साबित नही कर पाया इस बात के भी सबूत नही मिले कि ब्रिटिश काल मे 18 वीं सदी तक नमाज वहां पढ़ी जाती थी लेकिन हिन्दुओ ने पूजा करना नही छोडा। इस तरह न्यायलय ने तथ्यो का गहराई से विश्लेषण कर 1885 मे संत रघुवरदास द्वारा फैजाबाद की जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक 134 वर्ष पुराने विवाद का अंत मुख्य न्यायाधीश ने अपनी सेवानिवृत की तारीख से आठ दिन पहले एक निश्चित समय सीमा मे रहते सब कुछ छोडकर कर दिया। इसके लिये सभी पांचो न्यायाधीश श्रद्धा और नमन के पात्र है जिनकी दृढ इच्छा शक्ति के चलते सैकडो बर्षो से चले आ रहे तनाव के माहौल को शांत कर दिया। इस कार्य मे जितना श्रेय न्याये को है उतना ही विवाद से समबन्धित पक्षकारों का उनके वकीलों का और उत्तर प्रदेश और केन्द्र सरकार को भी जाता है जिन्होंने इस विवाद के निपटारे को अंजाम तक पहुचाने मे न्यायालय का सहयोग किया ! विशेषकर केन्द्र की भाजपा सरकार का। क्योकि विवाद बहुत पुराना था बहुत सरकारे बनी क ई प्रधानमंत्री आसीन हुये लेकिन किसी सरकार ने कभी ऐसी इच्छा शक्ति नही दिखाई कि इस विवाद का निपटारा हो क्योकि नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक सारे प्रधानमंत्री को एक डर था कि यदि इसका फैसला आता है तो उसके बाद एक समुदाय उनसे नाराज हो जायेगा साथ ही यह भी डर था कि फैसले के बाद देश मे क्या हालात होंगे जिसके चलते कोई सरकार नही चाहती थी कि इसका फैसला हो।

लेकिन पहली बार देश मे ऐसी सरकार आई जिसका नेतृत्व नरेन्द्र मोदी कर रहे है और सुप्रीम कोर्ट को केन्द्र सरकार ने पूरा सहयोग तो किया ही दोनो को एक दूसरे पर यकीन था केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट पर कि वो इसका फैसला कर सकती है एवं सुप्रीम कोर्ट को केन्द्र सरकार पर कि वो फैसले के बाद स्थिति को संभाल लेगी जैसे कि कश्मीर मे संभाला।

अब जब विवाद का निस्तारण हो चुका है सभी पक्ष संतुष्ट है पूरे देश के नागरिक सम्मान कर रहे है केन्द्र सरकार का दायित्व है कि शीघ्र ही इस फैसले का ट्रस्ट बनाकर क्रियान्वयन करे

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply