भाजपा में टिकिट के मानक क्या रहेंगे कयास लगाते रहिए

“विधायक क्या, मंत्री भी टिकटों को लेकर भ्रम न पालें। किसी की भी टिकट काट दी जा सकती है। इस मामले में विधायकों और मंत्रियों की परफॉर्मेंस को प्राथमिकता दी जाएगी, “पिछले दिनों जब भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बैठक में कहा था तब ही से साफ था की भाजपा ऐन चुनावों से पहले अपने पत्ते नहीं खोलने वाली। इससे दो बातें साफ थीं एक कोई भी अनर्गल उम्मीद न पालें और दूसरी अभी भी समय है, सुधर जाओ। दूसरी ओर हुड्डा के हाथों कमान आने के बाद मुक़ाबला कड़ा होता नज़र आ रहा है। अकाली दल ने मोर्चा खोल दिया है और उसे प्रदेश में भीतर ही भीतर इनेलो का समर्थन मिलेगा। आम आदमी पार्टी के नेता भी च्नवी दंगल को बहुत रंगीन बनाने में जुटे हैं। जहां हम ए मजबूत विपक्ष की बात कर रहे थे वहीं अब भाजपा मुश्किल से सरकार बनाती दिख रही है। भाजपा के चिंतन मंच को बहुत चिंतन की आवश्यक्ता है।

20 सितंबर, चंडीगढ़ (सारिका तिवारी)

हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी मौजूदा चुनाव में अपने सीटिंग एमएलएज को टिकट देने के सवाल पर क्या रणनीति तय करेगी यह तो समय बताएगा परंतु यदि भाजपा की कार्यशैली पर गौर करें तो हम पाएंगे कि पार्टी ने मध्यप्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में हर चुनाव में एक तिहाई विधायकों की टिकटें काटने का काम हर बार किया है और उनके विशेषज्ञ कहते हैं कि भाजपा का लगातार सत्ता में रहना यह प्रमाणित करता है कि टिकट काटने का फैक्टर भी चुनाव में बड़ा काम करता है ।
ऐसे में हरियाणा में 15 तक मौजूदा भाजपा विधायकों की टिकटों पर कैंची चल सकती है। पार्टी कहो या सरकार ,इससे भी आगे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मजबूत इच्छाशक्ति दिखाते हुए उन बागियों की परवाह नहीं की जो मुख्यमंत्री को चलता करने की योजना पर काम करते रहे। इनकी संख्या17 _18 थी .।इसलिए यह सारे के सारे भाजपा विधायक डेंजर जोन में है। पाठकों को याद होगा कि दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा के सारे निगम पार्षदों की टिकटें काट दी थी। पिछले दिनों भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बैठक में साफ कहा था कि विधायक क्या मंत्री भी टिकटों को लेकर भ्रम न पालें ।किसी की भी टिकट काट दी जा सकती है । इस मामले में विधायकों और मंत्रियों की परफॉर्मेंस को प्राथमिकता दी जाएगी।
इस दृष्टिकोण से देखें तो मौजूदा सरकार के कई मंत्रियों के लिए यह चुनाव खतरे की घंटी साबित हो सकता है ।कमाल इस बात का है कि भाजपा के सारे के सारे जाट एमएलए मंत्री अपने-अपने हलकों में सुखद स्थिति में नहीं है। कैप्टन अभिमन्यु ओम प्रकाश धनखड के विधानसभा क्षेत्रों में तो भाजपा प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ा था ।सुभाष बराला अपने हलके में फंसे नजर आ रहे हैं यहीस्थिति शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा की भी है मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने मंत्रिमंडल से उन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था जिन पर non-performingहोने का ठप्पा लग गया था। यह थे विक्रम ठेकेदार और घनश्याम सर्राफ। मौजूदा चुनाव में में यह दोनों भी बिना टिकट देखे जा सकते हैं ।जिन हलकों में सीटिंग बीजेपी एमएलए को दरकिनार किया जा सकता है उनमें कालका मुलाना लाडवा  पानीपत मंडी अटेली भिवानी गुड़गांव रेवाड़ी हिसार असंध पानीपत ग्रामीण आदि शामिल है। भाजपा नेता यह जानते हैं कि कांग्रेस चुनाव में भी सिटिंग एमएलएज को टिकट देने की कोशिश करेगी ।पिछले चुनाव में हारे भाजपा प्रत्याशी इस बार शायद ही टिकट प्राप्त कर पाए। एक दो नाम अपवाद के रूप में देखे जा सकेंगे।

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