पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकारा रामायण कांक्लेव का आमंत्रण
रामकथा ने केवल भारत को ही नहीं एशिया के अन्य देशों को भी प्रेरित किया है। एक सहस्ताब्दी पूर्व भारतीय संस्कृति दक्षिण-पूर्वी एशिया में पहुँची और तभी से रामायण वहाँ के जन-जीवन में रस-बस गई। थाईलैंड, मलेशिया, कम्बोडिया, बर्मा, लओस आदि में रामकथा का प्रर्याप्त प्रचार है।
थाईलैंड और कम्बोडिया में रामकिर्ती प्रसिद्ध है। यहाँ रामलीला का आयोजन नृत्य-नाटक के रुप में होता है। इंडोनेशिया की रामलीला का आयोजन रंग-बिरंगे नृत्य के रुप में होता है। यहाँ रामायण की जनप्रिय ककाविन कवित्ते है जिनसे रामलीला के मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। नृत्य जावा व बाली द्वीपों में काफी प्रसिद्ध हैं। करीब सौ व्यक्तियों द्वारा खुली रंगशाला में खेला जाने वाला सुग्रीव वानर नृत्य भी अत्यन्त आकर्षक होता है। वायंगकुलैत नामक छायानृत्य काफी लोकप्रिय है जिसमें रामकथा के पात्र चमड़े के वस्र पहन कर नृत्य करते हैं।
नेपाल में रामलीला का आयोजन काफी बड़े पैमाने पर होता है। नेपाल में रामलीला मनोरंजन के लिए नहीं होता बल्कि धार्मिकता की भावना से की जाती है। नेपाली भाषा में अनूदित “भानु रामायण” पर आधारित रामकथा को प्रत्येक वर्ष पंचमी तिथि पर जानकी मंदिर में अनुप्राणित किया जाता है, क्योंकि लोगों का विश्वास है कि यहाँ सीता-राम का विवाह हुआ था।
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श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकारा रामायण कांक्लेव का आमंत्रण आगामी जनवरी माह में हिंदुस्तान में आयोजित होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय रामायण कांक्लेव का आमंत्रण गत 21 जुलाई को श्रीलंका में आयोजित समारोह में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकार किया कांक्लेव के मुख्य प्रवक्ता महेंद्र चौधरी ने बताया की उपरोक्त समारोह में तकरीबन 10 से 12 देशों के वर्तमान व पूर्व राष्ट्राध्यक्ष सहित कई विद्वान व राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कलाकार हिस्सा लेंगे इसी क्रम में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति श्री महिंदा राजपक्षे ने कार्यक्रम हेतु अपनी सहमति प्रदान की।
उपरोक्त कार्यक्रम के अंतर्गत नेपाल भूटान सिंगापुर मलेशिया थाईलैंड मारीशस फिजी दुबई इत्यादि देशों के शीर्ष लोगों को आमंत्रित करने का क्रम शुरू हो गया है कांक्लेव के निर्देशक दुष्यंत सिंह के अनुसार समूची रामचरितमानस को एक विशेष तरह के संगीत में संगीतबद्ध कर उसका अंतरराष्ट्रीय फिल्मांकन किया जाएगा एवं उसका बृहद प्रचार प्रसार व प्रदर्शन राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा। उपरोक्त संगीत में ही रचना में देश विदेश के दिग्गज कलाकार अपना स्वर देंगे।
रूचिन त्यागी के अनुसार जनवरी माह में तीन दिवसीय रामायण कांक्लेव में देश-विदेश से आ रहे महानुभाव प्रभु श्री राम व रामचरितमानस के ऊपर अपने विचार रखेंगे व उपरोक्त कार्यक्रम के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभु श्री राम के भक्तों को जोड़ने के साथ साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी एक वृहद रामायण कारी डोर की परिकल्पना को पंख लगेंगे आयोजकों के अनुसार उपरोक्त कार्यक्रम में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी व महामहिम राष्ट्रपति महोदय श्री रामनाथ कोविंद जी व प्रभु श्री राम की जन्म स्थली अयोध्या का प्रतिनिधित्व कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आमंत्रण के साथ साथ कार्यक्रम हेतु आशीर्वाद लिया जाएगा उपरोक्त कार्यक्रम की तैयारियां जोर शोर से जारी हैं व आयोजकों के अनुसार सन 2020 का कदाचित वैश्विक तौर पर यह सबसे बड़ा आयोजन होगा
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