संस्कृत मृत और हिन्दी जड़हीन: वाइको

वाइको ने कहा कि अंग्रेजी की वजह से भारतीयों की कई समस्याओं का अंत हुआ है. अब वे हिंदी को थोप रहे हैं. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरिसिम्हा राव और मनमोहन सिंह भी सदन को अंग्रेजी में संबोधित करते थे, उन्होंने कहा कि सिर्फ मोदी ही बार-बार हिंदी के प्रति प्यार जताते रहते हैं और उनकी नजर में हिंदी बोलने के पीछे प्रधानमंत्री की भावना ‘हिंदी, हिंदू, हिंदू राष्ट्र’ की है.

अब जब हिन्दी जड़ हीन है तो हिन्दी से वाइको को डर क्या है?

असल में वाइको डर, भय और नफरत की राजनीति करने वाले नेता हैं। इन्हें तमिल नाडू में हिन्दी एवं हिन्दू विरोध की राजनीति का अग्रदूत माना जाता है । पट्टालेखों पर जहां देवनागरी में सूचनाएँ प्रकाशित होतीं उन पर वाइको कालिख पोतने वाली राजनीति किया करते थे। अब तमिलनाडू में विधानसभा के चुनावों के मद्देनजर वाइको का यह चुनावी पैंतरा है जिसमें वह कामयाब होते दिखते हैं।

नई दिल्‍ली: तमिलनाडु की राजनीति में हिंदी विरोध हमेशा से ही बड़ा केंद्र रहा है. इन सबके बीच तमिलनाडु की क्षेत्रीय पार्टी एमडीएमके के महासचिव और सांसद वाइको ने हिंदी भाषा को लेकर एक विवादित बयान दिया है. दरअसल, एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में वाइको ने कहा कि हिंदी में दिए जाने वाले भाषणों की वजह से संसद में बहस का स्तर गिर गया है. उन्होंने कहा है कि संसद में अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई ने अंग्रेजी में भाषण दिए. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह भी सदन में अंग्रेजी में भाषण देते थे. इन सभी को हिंदी से प्रेम था.

वाइको ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि सिर्फ पीएम मोदी ही हिंदी के लिए अपनी दीवानगी जाहिर करते हैं. वह ‘हिंदी, हिंदू और हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करना चाहते हैं. इसके साथ ही वाइको ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू एक अच्छे डेमोक्रेट थे, उन्होंने संसद का एक भी सत्र नहीं छोड़ा. वहीं, पीएम मोदी मुश्किल से ही संसद सत्र के दौरान मौजूद रहते हैं. उन्होंने नेहरू और पीएम मोदी की तुलना करते हुए कहा कि नेहरू अगर पहाड़ हैं तो पीएम मोदी उसका एक हिस्सा मात्र हैं. 

अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में वाइको से पूछा गया था कि संसद में भाषण के गिरते स्तर के पीछे क्या वजह है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि पहले संसद में विभिन्न विषयों पर गहरी जानकारी रखने वालों को भेजा जाता था. आज बहस का स्तर हिंदी की वजह से गिर गया है. वे बस हिंदी में चिल्लाते हैं. यहां तक की पीएम मोदी भी सदन को हिंदी में संबोधित कर रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि अंग्रेजी की वजह से भारतीयों की कई समस्याओं का अंत हुआ है. अब वे हिंदी को थोप रहे हैं. यही कारण है कि अन्ना ने कहा था कि 8वीं अनुसूची में सभी भारतीय भाषाओं को आधिकारिक भाषा बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सभी भाषाओं को आधिकारिक भाषा बनाया जा सकता है तो अंग्रेजी को भी जगह दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी तो सभी के लिए सामान्य होनी चाहिए.

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