जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ लिया है और सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी है. ऐसे में वहां की सरकार अल्पमत में आ गर्ई है और बीजेपी ने राज्य में राज्यपाल शासन लगाने की मांग की है. राज्यपाल की सिफारिश पर देश के राष्ट्रपति इस बात पर फैसला करेंगे कि राज्य में राज्यपाल शासन लगाने की जरूरत है या नहीं.
एक बात आपके दिमाग में जरूर आ रही होगी कि ऐसी स्थिति में देश के अन्य राज्यों में भारतीय संविधान की धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है लेकिन जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन क्यों?, तो आइए हम आपको इसके पीछे कारण बताते हैं.
दरअसल, जम्मू-कश्मीर के संविधान के सेक्शन 92 के मुताबिक, राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के बाद भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी से 6 महीने के लिए राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है. राज्यपाल शासन के दौरान या तो विधानसभा को निलंबित कर दिया जाता है या उसे भंग कर दिया जाता है.
राज्यपाल शासन लगने के 6 महीने के भीतर अगर राज्य में संवैधानिक तंत्र दोबारा बहाल नहीं हो पाता है तो भारत के संविधान की धारा 356 के तहत जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के समय को बढ़ा दिया जाता है और यह राष्ट्रपति शासन में तब्दील हो जाता है. अब तक जम्मू-कश्मीर में 7 बार राज्यपाल शासन लगाया जा चुका है.