भाजपा ने जम्मू कश्मीर की गठबंधन वाली सरकार में राष्ट्रिय हितों को ले कर टकराव के चलते पड़ी दरार.
अब गठबंधन धर्म से मुक्त भाजप क्या अपने पुराने एजेंडा पर लौटेगी?
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ मिलकर सरकार में शामिल बीजेपी ने गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है. सीजफायर सहित कई मुद्दों पर दोनों ही पार्टियों में काफी दिनों से टकराव चल रहा था. आज ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने महबूबा मुफ्ती सरकार में शामिल बीजेपी कोटे के सभी मंत्रियों और राज्य के सभी बड़े नेताओं को दिल्ली में आपात बैठक के लिये बुलाया था. इसी बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी अमित शाह से मुलाकात की है. इसके बाद बीजेपी ने समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया.
– हम खंडित जनादेश में साथ आए थे. लेकिन इस मौजूदा समय के आकलन के बाद इस सरकार को चलाना मुश्किल हो गया था.
– हम एक एजेंडे के तहत सरकार बनाई थी. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर सरकार की हर संभव मदद की.
– गृहमंत्री समय पर राज्य का दौरा करते रहे. सीमा पार से जो भी पाकिस्तान की सभी गतिविधियों को रोकने के लिये सरकार और सेना करती रही.
– हाल ही में वरिष्ठ पत्रकार की हत्या कर दी गई. राज्य में बोलने की आजादी पर खतरा हो गया है.
– राज्य सरकार की किसी भी मदद के लिये केंद्र सरकार करती रही. लेकिन राज्य सरकार पूरी तरह से असफल रही. जम्मू और लद्दाख में विकास का काम भी नहीं हुआ. कई विभागों ने काम की दृष्टि से अच्छा काम नहीं किया.
– बीजेपी के लिये जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है लेकिन आज जो स्थिति है उस पर नियंत्रण करने के लिये हमने फैसला किया है कि हम शासन को राज्यपाल का शासन लाये.