ममता से टूटे 17 लाख परिवार
निवेशक ने कहा, ‘हम मांग करेंगे कि सभी अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए और ठगे गए निवेशकों को पैसा लौटाया जाए.’
बताया जाता रहा है की शारदा चिटफंड घोटाले में 17 लाख निवेशकों का पैसा डूबा, और अब उनके इंसाफ की उम्मीद भी। यह मामला पैसे – राजनीति से कुछ अलग है। यकीन नहीं होता की ममता बैनर्जी राजनैतिक रूप से इतनी अपरिपक्व हो सकतीं थीं, जितना उन्होने अपने आप को दर्शा दिया। उन्होने अपने इस कदम से यह जाता दिया की उन्हे 17 लाख परिवारों की न कोई चिंता थी न है और न ही अब इन 17 लाख परिवारों के वोट की भी उन्हे लेश मात्र आवश्यकता है।
विभिन्न चिटफंड कंपनियों के हाथों धोखाधड़ी के शिकार हुए निवेशकों और एजेंटों ने सोमवार को कहा कि सीबीआई अधिकारियों को कोलकाता के पुलिस कमिश्नर से पूछताछ करने से रोकने के पश्चिम बंगाल के कदम से वे ठगा-सा महसूस कर रहे हैं. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर करोड़ों रुपए के इस घोटाले के पीछे की सच्चाई को छिपाने का प्रयास करने का आरोप लगाया.
चिटफंड कंपनियों से परेशान लोगों के संगठन चिट फंड सफरर्स फोरम के संयोजक आसिम चटर्जी ने कहा कि कोलकाता के पुलिस प्रमुख राजीव कुमार से पूछताछ की सीबीआई की कोशिश पर राज्य सरकार और केंद्र के बीच टकराव न केवल निंदनीय है बल्कि सच्चाई को छिपाने की कोशिश भी है.
फोरम के एक अन्य संयोजक जयंत हलधर ने कहा कि फोरम जल्द ही चिटफंट कंपनियों के हाथों ठगे गए निवेशकों की रैली करेगा.
उन्होंने कहा, ‘हम मांग करेंगे कि सभी अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए और ठगे गए निवेशकों को पैसा लौटाया जाए.’
ठगे गए निवेशक बीसू ने कहा, ‘मै एक चिटफंट कंपनी में एजेंट और निवेशक दोनों था. मुझे करीब 30 लाख रुपए का चूना लगा दिया गया. अब जब सीबीआई इस घोटाले के पीछे की सच्चाई ढूंढने का प्रयास कर रही है तब राज्य सरकार उसे रोकने की कोशिश कर रही है.’ उन्होंने कहा, ‘हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.’
उन्होंने आश्चर्य प्रकट किया कि राज्य सरकार शीर्ष पुलिस अधिकारी से पूछताछ को रोकने के लिए इतनी आतुर क्यों है. हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने बार बार कहा है कि उसी की सरकार है जिसने चिट फंड मालिकों को गिरफ्तार कराया.
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