वक्त करता है परवरिश बरसों, हदिसा एक दम नहीं होता

राजविरेन्द्र वासिष्ठ

पिछले साल संसद भवन में चर्चा के दौरान प्रधान मंत्री को गले लगा कर फिर सिंधिया को अंक मार कर मानो mission accomplished वाली भावना के साथ मुसकुरये थे राहुल शायद किसी ने भी उन्हे अभिव्यक्ति की मर्यादा के बारे में नहीं समझाया था, तभी तो आज भी वह संसद भवन में स्पीकर महोदया के in chair होते हुए भी अपनी मर्यादा भूल कर आँख मार बैठे।

बक़ौल जेम्स बॉन्ड एक बार अंजाने में, दूसरी बार एत्तेफाक मगर तीसरी बार दुश्मनी। तो जाहीर सी बात है की आज तीसरी बार आँख मारते हुए राहुल किससे दुश्मनी निभा रहे थे?

हम पढ़ते सुनते आए हैं:

“लफ्जों” का इस्तेमाल हिफाज़त से कीजिये
ये “परवरिश” का बेहतरीन सबूत होते हैं

क्या यह बात साधारण जन में पले बढ़े लोगों के लिए ही है, उच्चतम वर्ग के पैदा हुओं के लिए नए फलसफे गढ़ने पड़ेंगे।

आज सदन में राहुल गांधी द्वारा चोर मचाये शोर वाले राफेल के मामले पर देश की रक्षामंत्री श्रीमती सीता रमण ने सभी प्रश्नों के उत्तर दिये, परंतु राहुल गांधी की मैं न मानूँ वाली नीति को कांग्रेस आगे बढ़ती हुई जान पड़ी, संसद सत्र में समय की बरबादी के अलावा वह कुछ भी करती नहीं दीख पड़ती।

आज राहुल ने अमेठी जाने का प्रोग्राम बनाया था, परंतु स्मृति ईरानी के वहाँ पहुँच जाने के कारण राहुल गांधी ने अपना दौरा स्थगित कर दिया। और संसद में बैठ कर वही पुराना राफेल राग अलापा। रक्षामंत्री के उत्तर के पश्चात राहुल फिर वही सवाल दोहरने लगे जिसकासंसद में पिछले 2 दिनों से उत्तर दिया जा चुका है। तत्पश्चात उन्होने पीछे ऊपर देखते हुए आँख मारी फिर पुन: अपनी बाईं ओर बैठे किसी सांसद को आँख मारी।

अब प्रश्न यह उठता है की मानो उनके किसी सांसद मित्र ने कहा हो लगे रहो मुन्ना भाई, और राहुल भाई आँख मार कर उसका अनुमोदन कर रहे हों। और दूसरी बार भी किसी ने पूछा हो कि अब क्या करें, तो राहुल ने आँख मार कर कोई जवाब दिया हो। प्रश्न यह उठता है कि अब क्या संसद आँखों के इशारे से चलेगी, क्या लगभग 135 वर्ष पुरानी पार्टी ने अपने सांसदों के लिए कोई नयी भाषा गढ़ ली है तो वह संवाददाता गैलेरी में बैठे पत्रकारों को भी इस भाषा से अवगत करवा दें ताकि वह वहाँ बैठे कयास न लगाते फिरें।

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