पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, पंचांग, 27 दिसम्बर 2025

शनिवार का दिन ज्योतिष और हिंदू धर्म में शनि देव को समर्पित है, जो न्याय, अनुशासन और कर्मफल के देवता माने जाते हैं; इस दिन शनि देव की पूजा करने से साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्ट दूर होते हैं, जीवन में संतुलन आता है, और अच्छे कर्मों का फल मिलता है, जिसके लिए काले तिल, उड़द, तेल और लोहे का दान, तथा पीपल की पूजा और “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप किया जाता है। शनिवार का दिन न्याय, अनुशासन और कर्म के महत्व को दर्शाता है। इस दिन की पूजा करने से जीवन में आई कठिनाइयाँ दूर होती हैं, ग्रहदोष शांत होते हैं और मनुष्य को सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ने की शक्ति प्राप्त होती है। शनि देव का परिचय शनि देव सूर्य देव के पुत्र हैं और उनकी माता का नाम **छाया देवी** है।
नोटः आज श्री मार्त्तण्ड़ सप्तमी एवं श्रीगुरू गोविन्द सिंह जयंती है।

श्री मार्त्तण्ड़ सप्तमी : श्री मार्तण्ड सप्तमी पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है, जब सूर्य देव ने देवी अदिति के गर्भ से ‘मार्तण्ड’ (सूर्य का ही एक रूप) के रूप में जन्म लिया था, जो देवताओं की रक्षा के लिए था; इस दिन सूर्य देव की पूजा, व्रत और दान करने से आरोग्य, धन, सुख-समृद्धि मिलती है और सभी रोग दूर होते हैं। यह व्रत सूर्य देव को समर्पित है और इसे ‘रथ सप्तमी’ या ‘सूर्य सप्तमी’ के नाम से भी जाना जाता है, जो सूर्य देव के जन्मदिवस का प्रतीक है।

श्रीगुरू गोविन्द सिंह जयंती : श्री गुरु गोबिंद सिंह जयंती सिखों के दसवें गुरु के जन्मदिन का उत्सव है, जो हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, और 2025 में यह 27 दिसंबर, शनिवार को मनाई गई। यह प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसमें संगत गुरुद्वारों में प्रार्थना करती है, जुलूस निकलते हैं, और लंगर (सामुदायिक रसोई) आयोजित किए जाते हैं, जो उनके न्याय, समानता और निडरता के संदेशों को याद दिलाते हैं।
विक्रमी सवत्ः 2082,
शक संवत्ः 1947,
मासः पौष,
पक्षः शुक्ल,
तिथिः सप्तमी प्रातः काल 01.10 तक है,
वारः शनिवार ।
नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी,गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।
नक्षत्रः पूर्वाभाद्रपद प्रातःः काल 09.10 तक है, योग व्यातिपात दोपहरः काल 12.22 तक, है,
करण वणिज,
सूर्य राशिः धनु, चन्द्र राशिः मीन,
राहू कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक,
सूर्योदयः 07.17, सूर्यास्तः 05.28 बजे।

