Monday, May 12

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 12 मई 2025

नोटः आज श्री वैशाख पूर्णिमा तथा श्री बुध जयंती है। एवं वैशाख स्नान समाप्त है। श्री बुध पूर्णिमा तथा श्री सत्य नारायण व्रत है। तथा कूर्म जयंती एवं महर्षि भृगु जयंती है।  

शास्त्रों के अनुसार सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करने से व्यक्ति को हजार यज्ञ करने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। सत्यनारायण भगवान व्रत कथा में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप के बारे में बताया गया है। इस व्रत का पाठ करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है और भगवान विष्णु की कृपा बना रहती है।

वेद पुराणादि के प्रामाणिक पात्र महर्षि भृगु का जन्म लाखो वर्ष पूर्व ब्रह्मलोक-सुषा नगर ) में हुआ था। ये आज सनातनी धर्मग्रंथों में वर्णित ब्रम्हा के पुत्र थे | ये अपने माता-पिता से सहोदर दो भाई थे। इनके बड़े भाई का नाम अंगिरा ऋषि था। जिनके पुत्र बृहस्पतिजी हुए जो देवगणों के पुरोहित-देवगुरू के रूप में जाने जाते हैं। महर्षि भृगु द्वारा रचित ज्योतिष ग्रंथ ‘भृगु संहिता’  के लोकार्पण एवं गंगा सरयू नदियों के संगम के अवसर पर जीवनदायिनी गंगा नदी के संरक्षण और याज्ञिक परम्परा से महर्षि भृगु ने अपने शिष्य दर्दर के सम्मान में  ददरी मेला प्रारम्भ किया।

माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था। 2025: 12 मई को कूर्म जयंती मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था, इसलिए इस दिन कूर्म जयंती मनाई जाती है। कूर्म यानि कछुआ भगवान विष्णु का दूसरा अवतार है।

वैशाख पूर्णिमा को भगवान विष्णु के नवें अवतार, भगवान बुद्ध का जन्मदिवस भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि उन्हें ज्ञान की प्राप्ति पीपल वृक्ष के नीचे हुई थी, जिसे बोधि वृक्ष भी कहा जाता है। उन्होंने छह वर्षों तक इसी वृक्ष के नीचे तपस्या की और पूर्णिमा के दिन ही उन्हें बोधि प्राप्त हुआ।

विक्रमी सवत्ः 2082, 

शक संवत्ः 1947, 

मासः वैशाख़ 

पक्षः शुक्ल, 

तिथिः पूर्णिमा रात्रि काल 10.26 तक है, 

वारः सोमवार।

नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही, शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें

नक्षत्रः स्वाती नक्षत्र की वृद्धि है जो कि (सोमवार को) प्रातः काल 06.17 तक है, 

योग, वरीयान की वृद्धि है जो कि (मंगलवार को) प्रातःः काल 05.53 तक है। 

करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः मेष, चन्द्र राशिः तुला,

राहू कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,

सूर्योदयः 05.36, सूर्यास्तः 06.59 बजे।