Wednesday, May 7
  • वर्ल्ड अस्थमा डे – अस्थमा को खांसी या एलर्जी समझने की गलती न करें:  डॉ. एस.के. गुप्ता
  • समय पर पहचान और इलाज़ से अस्थमा पर पाया जा सकता है काबू : डॉ. रॉबिन गुप्ता
  • अस्थमा डे पर पारस हेल्थ पंचकूला का संदेश, लक्षणों को न करें नजरअंदाज, कराएं जल्दी जांच और इलाज़

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला –  06 मई :

वर्ल्ड अस्थमा डे के मौके पर मंगलवार को पारस हेल्थ पंचकुला ने एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इसका मकसद लोगों को अस्थमा और उसके इलाज के बारे में शिक्षित करना था। इस साल अस्थमा डे की थीम लोगों की भागीदारी और शिक्षा की अहमियत पर आधारित थी। इस कार्यक्रम में अलग-अलग पेशे के लोग शामिल हुए और अस्थमा से सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जाना। कार्यक्रम का एक खास हिस्सा “प्लेज बोर्ड” था। इस बोर्ड को हॉस्पिटल के मुख्य ओपीडी में लगाया गया था।

इस बोर्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए लोगों को आमंत्रित किया गया, ताकि वे अस्थमा के प्रति जागरूकता फैलाने का संकल्प ले। इससे मरीजों और उनके परिवारों को अस्थमा का सही इलाज और देखभाल करने के लिए प्रेरणा मिली।

पारस हेल्थ पंचकुला में पल्मनोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. एस.के. गुप्ता ने ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों की अहमियत पर जोर देते हुए कहा, “भारत में बहुत से लोग अस्थमा को सिर्फ खांसी या एलर्जी समझ बैठते हैं, जिससे इलाज में देर हो जाती है। जब तक वे डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, तब तक हालत गंभीर हो चुकी होती है। इसलिए प्लेज बोर्ड जैसी पहल जरूरी है, क्योंकि इससे लोग अस्थमा के शुरुआती लक्षणों को समझ पाएंगे और समय पर इलाज लेने के लिए प्रेरित होंगे। इस तरह की जागरूकता से कई ज़िंदगियां बचाई जा सकती हैं।”

अस्थमा बच्चों में सबसे ज्यादा होने वाली लॉन्गटर्म वाली सूजन की ब्रीदिंग बीमारी है। यह बीमारी भारत में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। इससे 30 करोड़ से ज़्यादा लोग प्रभावित हैं। इसके आम लक्षणों में सांस फूलना, सीने में जकड़न, घरघराहट (विसलिंग साउंड) और खांसी शामिल हैं, खासकर रात में या सुबह के समय होने वाली खांसी इसके प्रमुख लक्षण हैं। वायु प्रदूषण, मौसम में बदलाव और धूल या पराग जैसे एलर्जन इसके लक्षणों को गंभीर बना सकते हैं। अगर अस्थमा की जल्दी पहचान हो जाए और सही तरीके से इलाज हो, तो इससे जीवन की गुणवत्ता बेहतर की जा सकती है और गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।

पारस हेल्थ पंचकुला में पल्मनोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रॉबिन गुप्ता ने भी इसी बात को दोहराते हुए कहा, “अस्थमा सिर्फ सांस से संबंधित बीमारी नहीं है, बल्कि यह इंसान की रोज़मर्रा की ज़िंदगी, स्कूल, काम और नींद तक को प्रभावित करती है। कई लोग इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं या उन्हें पता ही नहीं होता कि उन्हें अस्थमा है, उन्हें पता तब चलता है जब यह गंभीर हो जाती है। इसलिए लोगों को जानकारी देना बहुत जरूरी है। जब समाज जागरूक और सक्रिय होता है, तो हम लक्षणों को जल्दी पकड़ सकते हैं, अस्पताल जाने की जरूरत कम कर सकते हैं और लोगों को बेहतर और आत्मविश्वास भरी ज़िंदगी जीने में मदद कर सकते हैं।”

पारस हेल्थ ऐसे कार्यक्रमों के ज़रिए लोगों के स्वास्थ्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लगातार आगे बढ़ा रहा है। यह हॉस्पिटल न केवल बेहतरीन इलाज देने में जुटा है, बल्कि जरूरी स्वास्थ्य समस्याओं पर लोगों को जागरूक करने का भी काम कर रहा है। यह आयोजन हॉस्पिटल की समाज की भलाई के प्रति लगन को दर्शाता है और इसे हेल्थकेयर सेक्टर में एक अग्रणी हॉस्पिटल के रूप में और मजबूत बनाता है।