Tuesday, April 22

“शिक्षा के अधिकार का हनन: पंजाब में हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी, इकोनॉमिकली वीकर बच्चों से छिना उनका हक”

यदि अगले 10 दिनों में पंजाब के स्कूलों में आवेदन लेने न शुरू हुए तो धुरी जैसा संघर्ष पुरे पंजाब में होगा शुरू – ओंकार नाथ कन्वीनर एक्शन कमेटी फॉर आरटीआई एक्ट 2009

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 22 अप्रैल :

शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act), जो 1 अप्रैल 2010 से पूरे भारत में लागू हुआ, के तहत निजी स्कूलों को प्री-नर्सरी से 8वीं कक्षा तक गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित करना अनिवार्य है।

परंतु पंजाब सरकार द्वारा बनाए गए असंवैधानिक नियम 7(4) के कारण यह कानून राज्य में कभी सही तरीके से लागू ही नहीं हो पाया। नतीजा यह हुआ कि 2010 से 2025 तक लगभग 10 लाख वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित होना पड़ा।

18 जनवरी 2024 को जागरूक नागरिकों द्वारा दायर जनहित याचिका पर 19 फरवरी 2025 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए नियम 7(4) को रद्द कर दिया और स्पष्ट कहा कि यह आर.टी.ई. अधिनियम की भावना के खिलाफ है। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि 2025-26 सत्र से निजी स्कूलों में 25% आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।

इस आदेश के बाद पंजाब कैबिनेट ने नियम 7(4) को रद्द कर दिया और 21 मार्च 2025 को डी.पी.आई. (प्राइमरी) व जिला शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए। 24 मार्च को सभी निजी स्कूलों को भी आदेश जारी कर दिए गए।

लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे उलट है। निजी स्कूल अब भी गरीब बच्चों को दाखिला नहीं दे रहे और जिला शिक्षा अधिकारी भी निष्क्रिय बने हुए हैं। यह उच्च न्यायालय के आदेशों की खुली अवहेलना है और संविधान प्रदत्त शिक्षा के अधिकार का घोर उल्लंघन।

ऐसे में सामाजिक संगठन और जागरूक नागरिकों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। वे शीघ्र ही सार्वजनिक विरोध करेंगे और पंजाब सरकार व निजी स्कूलों के इस गैरकानूनी रवैये के खिलाफ अदालत में अवमानना याचिका दायर की जाएगी, ताकि वंचित बच्चों को उनका हक मिल सके।