पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 10 अप्रैल 2025
नोटः आज श्री प्रदोष व्रत है। अनंग त्रयोदशी, श्री महावीर जयंती जैन।
गुरु प्रदोष व्रत: जब प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ता है तो उसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह दिन गुरु बृहस्पति और भगवान शिव दोनों की कृपा पाने का द्वार खोलता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन विधि पूर्वक उपवास, ध्यान और शिवपूजन करने से जीवन के दोष समाप्त होते हैं और शुभता का भी वास होता है।
अनंग त्रयोदशी, चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाने वाला व्रत है। इस दिन कामदेव और रति की पूजा की जाती है। यह व्रत प्रेमी जोड़ों और विवाहितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
विक्रमी सवत्ः 2082,
शक संवत्ः 1947,
मासः चैत्र
पक्षः शुक्ल,
तिथिः त्रयोदशी रात्रि काल 01.01 तक है,
वारः गुरूवार।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः पूर्वाफाल्गुनी प्रातः काल 12.25 तक है,
योग वृद्धि़ सांय काल 06.59 तक है,
करणः कौलव,
सूर्य राशिः मीन, चन्द्र राशिः सिंह,
राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.05, सूर्यास्तः 06.40 बजे।