Tuesday, March 11

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो, 10 मार्च :

तख्त श्री केसगढ़ साहिब के नवनियुक्त जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज ने आज प्रातः तख्त साहिब के पंज प्यारे साहिबानों की उपस्थिति में जत्थेदार के रूप में पदभार ग्रहण सेवा संभाली।सिंह साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह जी सुबह तख्त श्री केसगढ़ साहिब पहुंचे, जिसके बाद उन्होंने तख्त साहिब में माथा टेका। उनकी सेवा से पहले तख्त श्री केसगढ़ साहिब के हैड ग्रंथी ज्ञानी जोगिंदर सिंह ने अरदास की और उसके बाद पंज प्यारे साहिबानों ने सिंह साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह को दसतार भेंट की। इस अवसर पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव प्रताप सिंह और तख्त साहिब के मैनेजर मलकीत सिंह ने भी दस्तार भेंट की।

इस दौरान तख्त साहिब में ग्रंथी सिंहों ने सिंह साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह को सिरोपा भेंट किया। इस दौरान सिंह साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह ने मौजूदा पंथिक हालात को देखते हुए पूरे सिख जगत से एक झंडे तले एकजुट होने की अपील की। उन्होंने पंथ की ओर से तख्त साहिब की सेवा करने का सम्मान प्रदान करने के लिए दस पातशाहियों और गुरु ग्रंथ साहिब को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें एक साधारण सिख परिवार में जन्म लेकर इतनी बड़ी सेवा मिली है।

उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना जीवन एक पाठी सिंह के रूप में शुरू किया और फिर धार्मिक प्रचार की सेवा को चुना तथा वे एक प्रचारक के रूप में गुरु पंथ की सेवा करते रहेंगे। पंथ के सामने मौजूद धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बात करते हुए ज्ञानी कुलदीप सिंह ने कहा कि हमारे अधिकांश मुद्दे गुरु की परंपरा से अलग होने के कारण उत्पन्न हुए हैं। यह चिंता का विषय है कि आज सिखों में धार्मिक मतभेद का माहौल है। हमारे बीच गुटीय विभाजन और वैचारिक मतभेदों ने बड़े विभाजन पैदा कर दिए हैं। सक्षम धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व की कमी के कारण, मुद्दों को सुलझाने के लिए एक साथ आने के बजाय, एक-दूसरे को छोटा दिखाने की प्रवृत्ति है। ऐसे कठिन समय में गुरु पर विश्वास के साथ मिलने के अवसर पैदा करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक तौर पर सिख समुदाय बड़े हमलों का शिकार है, जहां एक तरफ देश में अल्पसंख्यकों में डर का माहौल पैदा किया गया है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करके सिखों के खिलाफ यूएपीए और एनएसए जैसी काले कानून और धाराएं लगाई गई हैं और युवाओं को लंबे समय से जेलों में रखा गया है। देश के शासक 1984 के सिख नरसंहार के 40 साल बाद भी न्याय दिलाने में विफल रहे हैं। सिख राजनीतिक सत्ता के बिखराव के कारण दशकों से जेलों में बंद सिख कैदियों को कोई जमानत नहीं मिलती, बल्कि प्रतिदिन कुछ सिख विरोधी झूठे डेरेदारों को लंबी छुट्टियां देकर सिखों को परेशान किया जा रहा है।ज्ञानी कुलदीप सिंह ने कहा कि पंजाब की सिख आबादी को यहां से पलायन करने पर मजबूर किया जा रहा है और बदले में बड़ी संख्या में गैर पंजाबी आबादी को बसाकर पंजाब में सिखों को अल्पसंख्यक बनाने की गहरी साजिश चल रही है।

उन्होंने कहा कि पंजाब के नेताओं को एक खास डेरे या अप्रवासियों के कुछ हजार वोटों की चिंता है, लेकिन वे यहां रहने वाले लाखों सिखों के वोटों की गिनती नहीं करते। इसका मुख्य कारण यह है कि हम बहुत बुरी तरह से बंटे हुए हैं। ज्ञानी कुलदीप सिंह ने कहा कि सामाजिक दृष्टि से आज सिख समाज अनेक गंभीर बीमारियों का शिकार हो चुका है, जिसमें हमारे युवा नशे के आत्मघाती रास्ते पर जाने के कारण मर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कई सरकारें बदल चुकी हैं, लेकिन नशे का प्रचलन रुकने की बजाय लगातार बढ़ रहा है और हजारों नौजवान लड़के-लड़कियां इसकी चपेट में आकर मर चुके हैं। भौतिकवाद और धर्म से त्रस्त समाज में ऐसी बुराइयाँ पनपने लगती हैं, जिनका एकमात्र इलाज धर्म ही है।

ज्ञानी कुलदीप सिंह ने धर्म परिवर्तन पर भी गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए जमीनी स्तर पर एक प्रभावी धर्म प्रचार आंदोलन की आवश्यकता है, जिसे वह सिख संतों, महापुरुषों, संप्रदायों, बुद्धिजीवियों और विद्वानों की मदद से प्राथमिकता के आधार पर शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें अठारहवीं शताब्दी के अशांत समय में अपने मन, वचन और कर्म से सिख धर्म को जीने वाले महान गुरुसिखों से मार्गदर्शन लेना होगा और उनके जैसा जीवन अपनाना होगा।

उन्होंने सिख चरित्र निर्माण करने वाले महापुरुषों को याद करते हुए कहा कि आज हमारे पास बाबा साहिब सिंह बेदी, अकाली जत्थेदार फूला सिंह, बाबा राम सिंह, संत अतर सिंह मस्तुआने वाले, बाबा नंद सिंह जी, संत करतार सिंह जी खालसा भिंडरां वाले, संत बाबा जरनैल सिंह जी भिंडरां वाले, संत बाबा हरनाम सिंह जी रामपुर खेड़े वाले, बाबा दया सिंह जी सूर सिंह वाले, भाई काहन सिंह नाभा, ज्ञानी दित्त सिंह, भाई वीर सिंह और प्रो. पूर्ण सिंह जैसे महापुरुषों के जीवन और संकल्प को लेकर धर्म प्रचार के क्षेत्र में प्रवेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम मौजूदा सिख राजनेताओं से भी 20वीं सदी के अकाली आंदोलन के नेताओं के जीवन और चरित्र की अपेक्षा करते हैं। 2 दिसंबर को सिंह साहिबानों द्वारा शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के संबंध में लिए गए फैसले के बारे में बात करते हुए जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह ने कहा कि गुरमत की रोशनी में अकाल तख्त साहिब से जारी हुक्मनामों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और यही बात बिना किसी अपवाद के 2 दिसंबर को जारी हुक्मनामों पर भी लागू होती है। संबंधित पक्षों से आग्रह किया जाता है कि वे इस संबंध में एक-दूसरे के प्रति कठोर बयानबाजी से बचें।

उन्होंने कहा कि 2 दिसंबर के निर्णयों में पंथिक एकता को लेकर भी महत्वपूर्ण निर्णय हुआ था, जिसके संबंध में अभी तक दोनों पक्षों की ओर से कोई पहल नहीं की गई है। इस निर्णय को लागू करने के लिए संबंधित पक्षों के दावों की भी समीक्षा की जाएगी।क्षानी कुलदीप सिंह ने समूह संगठनों,दल पंथ, टकसालों व सिख नेताओं से सहयोग की आस की। इस अवसर पर शिरोमणि कमेटी के उप सचिव गुरचरन सिंह कुहाला, चीफ गुरूद्वारा इंस्पैक्टर जगदीश सिंह बुटटर, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के अतिरिक्त मैनेजर हरदेव सिंह सहित अन्य उपस्थित थे।