पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 25 फरवरी 2025
नोटः आज श्री भौम प्रदोष व्रत तथा त्रिपुष्कर योग दोपहर काल 12.48 तक है।
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त्रिपुष्कर योग :जब रविवार, मंगलवार व शनिवार के दिन द्वितीया, सप्तमी व द्वादशी में से कोई तिथि हो एवं इन 2 योगों के साथ उस दिन विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, पुनर्वसु व कृत्तिका नक्षत्र हो, तब ‘त्रिपुष्कर योग‘ बनता है।
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श्री भौम प्रदोष व्रत : मान्यता है भौम प्रदोष करने से शिव जी और बजरंग बली दोनों की विशेष कृपा मिलती है। हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने और उपवास रखने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही तरक्की के मार्ग में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं।
विक्रमी सवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः फाल्गुऩ
पक्षः कृष्ण,
तिथिः द्वादशी दोपहर काल 12.48 तक है,
वारः मंगलवार।
नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन, मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।
नक्षत्रः उत्तराषाढ़ा सांय काल 06.31 तक है,
योग व्यतिपात प्रातः काल 08.15 तक है,
करणः तैतिल,
सूर्य राशिः कुम्भ,
चन्द्र राशिः मकर,
राहू कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक,
सूर्योदयः 06.54, सूर्यास्तः 06.14 बजे।