सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर, 15 फ़रवरी :
प्रखर समाजसेवी, पर्यावरण प्रेमी एवं व्यवसायी रनदेव त्यागी ने हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ में पहुंच कर, विधिवत रूप से पूजा अर्चना की और माँ गंगा में श्रद्धा की डुबकी लगाई। रनदेव त्यागी ने महाकुंभ यात्रा का अनुभव सांझा करते हुए पत्रकारों से बात की। त्यागी ने प्रयागराज यात्रा वृत्तांत के आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के बारे में बोलते हुए कहा कि वह सर्वप्रथम परमपिता परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहते हैं, जिनकी असीम कृपा से उन्हें महाकुंभ जैसे पवित्र धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ। त्यागी ने बताया कि महाकुंभ यात्रा आस्था, परंपरा और आध्यात्मिकता का महासंगम महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक मेला है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु स्नान, ध्यान और सत्संग के लिए एकत्रित होते हैं। त्यागी ने कहा कि वह स्वंम को सौभाग्यशाली समझते हैं जो उन्हें महान तीर्थ यात्रा पर जाने का अवसर प्राप्त हुआ। गौरतलब है कि रनदेव त्यागी और उनका परिवार अपने सामाजिक जीवन में लगातार समाज उत्थान के लिए अग्रसर रहता है, वंही यदि धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन की बात करें तो वह अपने बुजुर्गों से मिले संस्कारो और शिक्षा से परिवार के सभी लोग धार्मिक प्रवृत्ति के हैं। त्यागी ने कहा कि महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक है।
इस मेले का आयोजन चार स्थानों पर—हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक—पर होता है और प्रत्येक स्थान पर हर 12वें वर्ष इसका आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में जाने से पहले की जिज्ञासा और माँ गंगा में स्नान करने के बाद की संतुष्टि को शब्दों में सीमित नहीं किया जा सकता। रनदेव त्यागी का कहना है कि सनातन संस्कृति में पूजा अर्चना का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है क्योंकि महाकुंभ का आयोजन ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति के आधार पर किया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, अमृत मंथन के दौरान जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर संघर्ष हुआ, तो कुछ अमृत की बूंदें पृथ्वी पर इन चार स्थानों पर गिरीं। इसलिए, इन स्थानों पर कुंभ का आयोजन किया जाता है। त्यागी ने बताया कि इस प्रकार के आयोजनों में अपेक्षा और उपेक्षा दोनों ही गलत हो सकती हैं क्योंकि यदि हम अपेक्षा रखते हैं तो हम मानसिक रूप से कमजोर पड़ सकते हैं और उपेक्षा करने पर अध्यात्म का महत्व समाप्त हो जाता है। हमें इन जगहों पर सहज और सहनशील रहना चाहिए और स्वंम की तथा दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। रनदेव त्यागी ने समाज का आह्वान करते हुए कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, आध्यात्मिकता और एकता का जीवंत उदाहरण है। यह आत्मशुद्धि, ध्यान और मोक्ष प्राप्ति का एक अवसर प्रदान करता है। महाकुंभ यात्रा का अनुभव हर व्यक्ति के जीवन में एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है। इसलिए हमें स्वंम के लिए अपने परिवार और समाज की सुख और समृद्धि के लिए इस प्रकार के धार्मिक स्थलों पर जरूर जाना चाहिए।