Friday, February 14

 कॉलेज के इंग्लिश और जूलॉजी विभाग ने किया आमंत्रित व्याख्यान का आयोजन
 
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 13 फ़रवरी :

सेक्टर-32 स्थित गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म कॉलेज के पोस्ट ग्रेजुएट इंग्लिश विभाग और जूलॉजी विभाग की ओर से वीरवार को पीएम उषा योजना के तहत अलग अलग लेक्चर आयोजित किए गए। इंग्लिश विभाग की ओर से “लिविंग बाय द पेन: द राइटर्स वे” शीर्षक से लेक्चर का आयोजन किया गया। प्रसिद्ध लेखक और पंजाब के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त खुशवंत सिंह इस कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता थे। सत्र की शुरुआत डीन आर्ट्स आशुतोष शर्मा और इंग्लिश विभाग की अध्यक्ष एवं डीन कल्चरल अफेयर्स पूजा सरीन द्वारा सिंह को पौधा भेंट कर हुई। खुशवंत सिंह ने अपनी यात्रा के बारे में जानकारी साझा की और बताया कि कैसे एक किसान के रूप में शुरुआत करने से लेकर उन्होंने लेख, जीवनी और उपन्यास लिखे।

उन्होंने पीपुल्स वॉक अगेंस्ट ड्रग्स के माध्यम से नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रति जागरूकता पहल में अपनी सक्रिय भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्हें विविध प्रकाशनों के अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह और फौजा सिंह जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों की जीवनी लिखने के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है। वह “महाराजा इन डेनिम्स” नामक उपन्यास के लेखक भी हैं, जिस पर पूर्णतः एआई द्वारा फिल्म बनाई जा रही है। इस लेक्चर में विभिन्न विभागों के छात्र शामिल हुए, जिन्होंने सिंह के संबोधन के बाद जीवंत प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया। जीजीडीएसडी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अजय शर्मा ने इस तरह के बौद्धिक रूप से प्रेरक संवाद के आयोजन की सराहना की।

कार्यक्रम की आयोजक डॉ. पूर्वा त्रिखा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा कि वक्ता खुशवंत सिंह के शब्द, “लेखन आपको सच्चाई का पीछा करने में मदद करता है” छात्र-छात्राओं के दिलों में बस गया। उन्होंने आगे कहा कि खुशवंत सिंह के शब्दों ने लेखन की शक्ति को उजागर किया – न केवल एक कला के रूप में, बल्कि दुनिया को देखने, समझने और आकार देने के एक तरीके के रूप में।

वहीं, कॉलेज के जूलॉजी विभाग की ओर से “बायो-सर्फेक्टेंट्स का परिचय और पर्यावरण स्थिरता में उनकी भूमिका” विषय पर पीएम उषा योजना के तहत लेक्चर का आयोजन किया गया। रयात बाहरा डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, सहौरन, मोहाली में प्रोफेसर डॉ. नीना मेहता इस मौके पर रिसोर्स पर्सन के तौर पर उपस्थित थीं। डॉ. नीना ने सर्फेक्टेंट्स की भूमिका पर चर्चा की और बताया कि किस प्रकार इनका पर्यावरण पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव हो सकता है। उन्होंने छात्रों को सर्फेक्टेंट और बायोसर्फेक्टेंट के बीच के अंतर के बारे में स्पष्ट रूप से बताया। बायोसर्फेक्टेंट विभिन्न अनुप्रयोगों,  विशेष रूप से दवा और सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग के लिए अधिक पर्यावरण के अनुकूल और सुरक्षित हैं, और उनके लाभों को अच्छी तरह से समझाया गया।

लेक्चर के बाद संवादात्मक सत्र का आयोजन किया गया। साइंस एवं आईटी डीन डॉ. सजीव सोनी ने वैज्ञानिक अभिरुचि के साथ इस तरह की जानकारीपूर्ण वार्ता आयोजित करने के लिए जूलॉजी विभाग के प्रयासों की सराहना की। आमंत्रित व्याख्यान का समापन जूलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. इंदु मेहता के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अजय शर्मा ने कहा कि ये गतिविधियां न केवल अकादमिक ज्ञान प्रदान करती हैं, बल्कि प्रौद्योगिकी और स्थिरता के बीच अंतर्संबंधों की गहरी समझ के साथ-साथ विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूकता और आलोचनात्मक सोच को भी बढ़ावा देती हैं।