Saturday, February 1

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 01 फरवरी 2025

नोटः आज गौरी तृतीया (गौंतरी) व्रत तथा वरद्-तिल चतुर्थी तथा कुन्द चतुर्थी व्रत एवं पूजन है।

वरद्-तिल चतुर्थी तथा कुन्द चतुर्थी व्रत एवं : हिंदू धर्म में हर तिथि को कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। माघ मास की गणेश चतुर्थी का भी विशेष महत्व है। जिसे वरद तिल चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इसे तुलकुंद चतुर्थी भी कहा जाता है। भगवान गणेश की पूजा का महत्वपूर्ण दिन है। यह पर्व माघ माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश पूजा विशेष महत्व है।वरद तिल चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। इस दिन की पूजा और व्रत से मानसिक शांति और सफलता प्राप्त होती है। यदि शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक पूजा की जाए, तो भगवान गणेश भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

गौरी तृतीया व्रत : यह व्रत हमारे व्रत एवं त्यौहारों को खास पर्व है। जो अपने आप में परम पुनीत एवं शुभ एवं पुण्यफल प्रदाता भी है। इस व्रत में माँ गौरी की आराधना की जाती है। तृतीया तिथि का व्रत माँ भगवती गौरी को समर्पित है। संसार को मातृत्व भाव से पालने वाली देवी गौरी ही अनेक रूपों में पूजी जाती है। वही दुर्गा एवं काली आदि रूपों में भक्तों के कल्याण हेतु अवतारों को धारण करती हैं। जिससे भक्त जनों के सुख एवं सौभाग्य की रक्षा हो पाती है। इस व्रत में सुहागिनें स्त्रियां मंगल एवं सौभाग्य शुभ सूचक सामग्री वस्त्राभूषणो से मां पार्वती सहित भगवान शिव एवं उनके परिवार की पूजा करती हैं। जिससे मा भगवती की कृपा से उन्हें सहज ही सुख सम्पत्ति होती है। पूजन एवं दान दक्षिणा ब्राह्मणों को देकर अपने व्रत को सफल बनाती है। गौरी तृतीया व्रत के दिन प्रत्येक महिलाये इसका पालन करती हैं। यह व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में किया जाता है। यानी चैत्र शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि में होने वाले व्रत को गौरी तृतीया के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को भी नियम एवं संयम एवं शुद्धता के साथ करने का विधान होता है।

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः माघ़ 

पक्षः शुक्ल, 

तिथिः तृतीया प्रातः काल 11.39 तक है, 

वारः शनिवार। 

नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी, गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।

नक्षत्रः पूर्वाभाद्रपद रात्रिः काल 02.33 तक है, 

योग परिघ दोहर काल 12.25 तक है, 

करणः गर, 

सूर्य राशिः मकर, चन्द्र राशिः कुम्भ,

राहू कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक,

सूर्योदयः 07.12, सूर्यास्तः 05.57 बजे।