Thursday, January 30
  • मधुमेह के इलाज में  प्राकृतिक पारंपरिक जड़ी-बूटियों की खोज करके पेटेंट हासिल किया

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़,  28 जनवरी :

भारतीय ज्ञान प्रणाली पर प्रधानमंत्री की पहल से प्रेरित होकर, चंडीगढ़ के गवर्नमेंट कालेज आफ एजुकेशन की डॉ सपना नंदा और होम साइंस ( फूड एंड न्यूट्रीशन) की रिसर्च स्कालर डॉ भारती गोयल ने  सिंथेटिक दवाओं की तुलना में कम दुष्प्रभावों वाली  प्राकृतिक पारंपरिक जड़ी-बूटियों के एक  नए सिनर्जेटिक फार्मूलेशन का उपयोग करके मधुमेह प्रबंधन पर काम किया। पेटेंट को  दो साल के रिकॉर्ड समय में प्रदान किया गया है। यह चंडीगढ़ के डिपार्टमेंट आफ  हायर एजुकेशन के किसी फैकल्टी द्वारा हासिल किए गए दुर्लभ इनोवेशन में से एक है। 

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) से मान्यता प्राप्त इस अभिनव पेटेंट (पेटेंट संख्या 558840 ) को पेटेंट अधिनियम, 1970 के प्रावधानों के अनुसार 30 दिसंबर, 2022 को  20 वर्षों के लिए एनबीए  3202406658 के तहत सूचीबद्ध किया गया है।

इस पेटेंट को सफलतापूर्वक मिलना इस फॉर्मूलेशन की मौलिकता और क्षमता को दर्शाता है, जो न केवल मधुमेह के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में योगदान देता है, बल्कि आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान में पारंपरिक हर्बल चिकित्सा की शक्ति का भी जश्न मनाता है। 

इस फॉर्मूलेशन को सिंथेटिक मधुमेह दवाओं के एक आशाजनक विकल्प के रूप में भी देखा जाता है, जिनके समय के साथ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इन प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पौधों की शक्ति का उपयोग करके, नया फॉर्मूलेशन मधुमेह के प्रबंधन के लिए एक सुरक्षित, प्रभावी और टिकाऊ विकल्प प्रस्तुत करता है। 

इस महिला जोड़ी ने पंजाब यूनिवर्सिटी के फार्मास्युटिकल साइंसेज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व इन्वेंटर प्रोफेसर अनिल कुमार,  के साथ मिलकर  व्यापक अनुभव के साथ टीम बनाई।

बंसल आईपी एसोसिएट्स की कोंपल बंसल और श्री परीक्षित बंसल ने पेटेंट प्रदान करने के लिए आवश्यक दस्तावेजीकरण में तकनीकी सहायता प्रदान की।