पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 17 जनवरी 2025
नोटः श्रीगणेश संकष्ट चतुर्थी व्रत है। वक्रतुण्ड चतुर्थी।
संकष्टी चतुर्थी या संकटहर चतुर्थी या केवल संकष्टी हिंदू पंचांग के प्रत्येक चंद्र माह में हिंदू भगवान गणेश को समर्पित एक पवित्र दिन है। यह दिन कृष्ण पक्ष (अंधेरे पखवाड़े) के चौथे दिन पड़ता है।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः माघ़
पक्षः कृष्ण,
तिथिः चतुर्थी अरूणोदय काल 05.31 तक है,
वारः शुक्रवार।
नोटः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः मघा प्रातः काल 12.45 तक है,
योग सौभाग्य रात्रि काल 12.57 तक है,
करणः बव,
सूर्य राशिः मकर, चन्द्र राशिः सिंह,
राहू कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,
सूर्योदयः 07.19, सूर्यास्तः 05.44 बजे।