- निगम अधिकारियों पर केंद्र सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखाने व महानिदेशक लेखा परीक्षक द्वारा उठाई गई आपत्तियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया एनजीओ नव युवा एकता संगठन ने
- मामला हर साल सर्दियों में बेघरों के लिए स्थापित किए जाने वाले अस्थाई रैन बसेरों से जुड़ा है
- पंचकूला में सिर्फ 3.5 लाख रुपये प्रति के हिसाब से एक बार की लागत से स्थायी रात्रि आश्रय स्थापित हैं जबकि चण्डीगढ़ में अस्थाई रैन बसेरों पर हर साल करोड़ों रूपये खर्च किये जाते हैं : गौरव यादव
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 15 जनवरी :
चण्डीगढ़ नगर निगम के अधिकारियों पर केंद्र सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखाने व महानिदेशक लेखा परीक्षक द्वारा उठाई गई आपत्तियों की अनदेखी करने का आरोप लगा है। मामला हर साल सर्दियों में बेघरों के लिए स्थापित किए जाने वाले अस्थाई रैन बसेरों से जुड़ा है।
एनजीओ नव युवा एकता संगठन के उपाध्यक्ष गौरव यादव इस सारे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि चण्डीगढ़ नगर निगम हर साल दिसंबर से फरवरी के सर्दियों के समय के दौरान रैन बसेरों की स्थापना, संचालन और प्रबंधन के लिए निविदाएं आमंत्रित करता है। निविदाओं में इन रैन बसेरों के लिए भारत सरकार के आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय (यूपीए प्रभाग) द्वारा दिनांक 13.12.2013 को जारी दिशा निर्देशों का पिछले 11 वर्षों से लगातार धड़ल्ले से उल्लंघन किया जा रहा है।
गौरव यादव के अनुसार मंत्रालय ने रैन बसेरों के लिए मानदंड और मानक तय किए हुए हैं जिनके मुताबिक अस्थाई रैन बसेरों की बजाए स्थाई रैन बसेरों को स्थापित करने के लिए कहा गया हुआ है। इसके अलावा रैन बसेरों का प्रबंधन नगर निगम द्वारा स्वयं या एनजीओ, आरडब्ल्यूए, स्वयं सहायता समूहों या अन्य समुदाय आधारित संगठनों के माध्यम से किया जाना चाहिए। किसी बाहरी निजी एजेंसियों का इनमें उल्लेख नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा जानबूझकर हर साल अस्थाई रैन बसेरों को स्थापित कराया जाता है जिसके लिए प्रति रैन बसेरे पर लगभग 9 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है। इस वर्ष भी लगभग 16 अस्थाई रैन बसेरों के संचालन के लिए ठेकेदार को 1.64 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा, जिन्हें फिर से ध्वस्त कर दिया जाएगा। इस वर्ष रैन बसेरों का संचालन 01.12.2024 से 12.03.2025 तक किया जा रहा है।
उनके मुताबिक पंचकूला नगर निगम ने लगभग 3.5 लाख रुपये प्रति के हिसाब से एक बार की लागत से स्थायी रात्रि आश्रयों का निर्माण किया हुआ है।
गौरव यादव ने आगे बताया कि इतना ही नहीं, डायरेक्टर जनरल ऑफ ऑडिट (सेंट्रल), चण्डीगढ़ के कार्यालय ने अस्थायी रैन बसेरों पर फिजूलखर्ची के संबंध में अवलोकन दिया है, जिसमें कहा गया है कि न तो उचित आवश्यकताओं की जांच की गई और न ही मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन किया गया। यह लेखा परीक्षा अवलोकन पिछले वर्ष से संबंधित था और अब निगम ने लेखा परीक्षा अवलोकनों की अनदेखी करते हुए इस वर्ष भी यहीं किया है।
गौरव यादव इस सारे मामले की जानकारी चण्डीगढ़ के प्रशासक, चीफ सेक्रेटरी, सोशल वेलफेयर विभाग के सचिव, नगर निगम आयुक्त के साथ साथ डीआईजी, सीबीआई को भी पत्र लिख कर भेज दी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस सारे मामले में निगम अधिकारियों की ठेकेदार से मिलीभगत व भ्रष्टाचार का साफ पता चलता है। एक ही ठेकेदार प्रीतम को हर बार ये टेंडर मिल जाता है।
ऊपर से वो यहां निर्धारित मानकों व मानदंडों का बिल्कुल भी पालन नहीं करता। इन रैन बसेरों में सुविधाएं बेहद ही दयनीय हैं। कोई पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था नहीं है, पीने के पानी की अनुपलब्धता है, उचित बिस्तर नहीं हैं, जलरोधक की कमी है, कोई सीवेज, मूत्रालय निपटान नहीं है, कोई सफाई नहीं है, कोई उचित सुरक्षा नहीं है व कोई दैनिक बुलाई आदि भी नहीं है।