पंचांग, 24 अक्टूबर 2024
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 24 अक्टूबर 2024
नोटः आज अहोई अष्टमी व्रत, एवं गुरूपुष्य योग तथा कालाष्टमी व्रत है।
अहोई अष्टमी व्रत : अहोई अष्टमी का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। इस साल यह व्रत दिन गुरुवार, 24 अक्टूबर, 2024 को मनाया जाएगा। यह दिन अहोई माता को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जो महिलाएं इस व्रत का पालन करती हैं, उन्हें उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान से जुड़ी हर समस्या का निदान हो जाता है। मान्यताओं के अनुसार, कुछ महिलाएं इस दिन चंद्रमा को देखकर व्रत खोलती हैं। इस बार अहोई अष्टमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं। अहोई अष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, साध्य योग और अमृत सिद्धि योग बन रहा है। अहोई अष्टमी में व्रत में नियमों का पालन जरुर करनी ताहिए।
कालाष्टमी व्रत : कालाष्टमी व्रत, हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव के रुद्रावतार भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना करने से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं और हर कार्य में सफलता मिलती है। जिन लोगों को डरावने सपने आते हैं उन्हें कालाष्टमी व्रत करने से भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की कृपा मिलती है।
गुरूपुष्य योग : गुरु पुष्य योग में धन की देवी माता लक्ष्मी और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इससे साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन आप लक्ष्मी जी की कृपा के लिए कनकधारा स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः कार्तिक़
पक्षः कृष्ण,
तिथिः अष्टमी रात्रिः काल 01.59 तक है,
वारः गुरूवार।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः पुष्य (की वृद्धि है जो कि शुक्रवार को) प्रातः काल 07.40 तक है, योग साध्य प्रातः काल 05.22 तक है,
करणः बालव,
सूर्य राशिः तुला, चन्द्र राशिः कर्क,
राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.31, सूर्यास्तः 05.39 बजे।
नोटः आज अहोई अष्टमी व्रत, एवं गुरूपुष्य योग तथा कालाष्टमी व्रत है।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।