पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 30 अगस्त 2024
जन्माष्टमी के चार दिन बाद यानि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि का विशेष महत्व है, इस दिन वत्स द्वादशीका त्योहार मनाया जाता है। माताएं अपने पुत्रों को तिलक लगाकर प्रसाद के रुप में सूखा नारियल देती है। वत्स द्वादशी के रूप मे पुत्र सुख की कामना एवं संतान की लम्बी आयु की इच्छा समाहित होती है।
नोटः आज वत्सद्वादशी पूजा है। इस दिन दूध देने वाली गाय को बछडे़ सहित स्नान कराते हैं। फिर उन दोनों को नया वस्त्र पहनाया जाता है। गले में फूलों की माला पहनाते हैं, चंदन का तिलक करते हैं,सींगों को मढ़ा जाता है और तांबे के पात्र में अक्षत, तिल, जल तथा फूलों को मिलाकर दिए गए मंत्र का उच्चारण करते हुए गौ का प्रक्षालन करना होता है।
नोटः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः भाद्रपद़
पक्षः कृष्ण,
तिथिः द्वादशी रात्रिः काल 02.26 तक है,
वारः शुक्रवार।
नक्षत्रः पुनर्वसु सांय काल 05.56 तक, योग व्यतिपात सांय काल 05.47 तक है, करणः कौलव,
सूर्य राशिः सिंह, चन्द्र राशिः मिथुन,
राहू कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.02, सूर्यास्तः 06.41 बजे।