Tuesday, December 30

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, पंचांग, 30 दिसम्बर 2025

नोटः आज श्री पुत्रदा एकादशी व्रत (वैष्णव) तथा सुजन्म द्वादशी व्रत एवं पूजन है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है. मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु संतान सुख प्रदान करते हैं। यह व्रत संतान पर आने वाले कष्टों को दूर करता है, साथ ही उन्हें स्वस्थ व दीर्घायु बनाता है

नोटः सुजन्म द्वादशी व्रत एवं पूजन है, सुजन्म द्वादशी हिंदू पंचांग के अनुसार एक विशेष तिथि है, जो आमतौर पर पौष या माघ मास के शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के उज्ज्वल पखवाड़े) में आती है और इसका संबंध भगवान विष्णु से है, जो पुत्र प्राप्ति, रक्षा और समृद्धि के लिए इस दिन व्रत रखते हैं, जिसमें विष्णु जी की पूजा, सत्यनारायण कथा और चातुर्मास के नियमों का पालन होता है।

नोटः एकादशी तिथि का क्षय है। एकादशी तिथि का क्षय होने का मतलब है कि एकादशी तिथि सूर्योदय से पहले या ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से लगभग 1 घंटा 12 मिनट पहले) में शुरू होकर अगली सुबह के सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाती है, जैसा कि हाल ही में 30 दिसंबर 2025 को पौष पुत्रदा एकादशी के साथ हुआ, जहाँ यह तिथि 30 दिसंबर को सुबह शुरू होकर 31 दिसंबर की सुबह बहुत जल्दी समाप्त हो गई, जिससे व्रत 30 दिसंबर को रखा गया और पारण द्वादशी (31 दिसंबर) या अगले दिन (1 जनवरी 2026) किया गया, और यह स्थिति “मिश्रित एकादशी” कहलाती है। 

विक्रमी सवत्ः 2082, 

शक संवत्ः 1947, मासः पौष, 

पक्षः शुक्ल, 

तिथिः दशमी प्रातः काल 07.52 तक है, 

वारः मंगलवार ।

नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन,मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।

नक्षत्रः भरणी रात्रि काल 03.59 तक है, योग सिद्धि रात्रि काल 01.02 तक, है,

करण : गर, 

सूर्य राशिः धनु,  चन्द्र राशिः मेष, 

राहू कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 07.18,  सूर्यास्तः 05.30 बजे।