पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, पंचांग, 26 दिसम्बर 2025

शुक्रवार का हिन्दू धर्म और ज्योतिष में विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन मुख्य रूप से धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माँ लक्ष्मी और संतोषी माता को समर्पित है, साथ ही यह शुक्र ग्रह का दिन भी है, जो प्रेम, सौंदर्य और भौतिक सुखों का कारक है; इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से धन-धान्य, दांपत्य सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है, जबकि ज्योतिषीय दृष्टि से यह कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत करता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है। शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी जी और संतोषी माता को समर्पित है। इस दिन को शुक्र ग्रह का दिन माना जाता है, जो धन, समृद्धि, प्रेम और वैवाहिक सुख का कारक है। देवी लक्ष्मी धन और वैभव की देवी हैं, जबकि संतोषी माता संतोष और सुख-शांति की प्रतीक हैं।
विक्रमी सवत्ः 2082,
शक संवत्ः 1947,
मासः पौष,
पक्षः शुक्ल,
तिथिः षष्ठी दोपहर काल 01.44 तक है,
वारः शुक्रवार ।
नोटः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः शतभिषा प्रातः काल 09.01 तक है, योग सिद्धि दोपहरः काल 2.01 तक, है,
करण तैतिल,
सूर्य राशिः धनु, चन्द्र राशिः कुम्भ,
राहू कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,
सूर्योदयः 07.16, सूर्यास्तः 05.28 बजे।

