Thursday, December 25

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, पंचांग, 25 दिसम्बर 2025

बृहस्पतिवार (गुरुवार) का महत्व देवगुरु बृहस्पति और भगवान विष्णु की पूजा से जुड़ा है, जो ज्ञान, सुख, समृद्धि, संतान और विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने, कुंडली में गुरु ग्रह को मजबूत करने, पितृ दोष शांत करने और समाज में मान-सम्मान दिलाने के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन पीले रंग की वस्तुओं का दान (हल्दी, गुड़, केला, पीले वस्त्र) और श्री विष्णु/बृहस्पति देव की पूजा करने से जीवन में स्थिरता और सौभाग्य आता है।  गुरुवार व्रत (बृहस्पतिवार व्रत) भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है, जिसका महत्व धन-संपत्ति, सुख-शांति, शिक्षा और विवाह संबंधी समस्याओं के निवारण में है; यह व्रत संतान सुख, आरोग्य, और गुरु ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करता है, जिससे जीवन में समृद्धि व सही दिशा मिलती है। यह व्रत आध्यात्मिक और भौतिक दोनों लाभ देता है, खासकर स्त्रियों और अविवाहितों के लिए बहुत फलदायी माना जाता है, जिससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में शुभता आती है।

नोटः आज श्री तुलसी पूजन महोत्सव है।तुलसी पूजन दिवस – भक्ति, पर्यावरण और स्वास्थ्य का पर्व Tulsi Poojan Diwas हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय तुलसी माता के पूजन का विशेष अवसर है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य लाभ का संदेश भी देता है।

विक्रमी सवत्ः 2082, शक संवत्ः 1947, मासः पौष, पक्षः शुक्ल, तिथिः पंचमी दोपहर काल 01.43 तक है, वारः गुरूवार। 

नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः धनिष्ठा (की वृद्धि है जो कि गुरूवार को) प्रातः काल 08.19 तक है, योगः वज्र अपराहन् काल 03.14 तक हैै,

करण बालव, 

सूर्य राशिः धनु, चन्द्र राशिः कुम्भ, 

राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 07.16, सूर्यास्तः 05.27 बजे।