Sunday, June 8

लैंडफिल, समुद्र या प्राकृतिक वातावरण में चला गया प्लास्टिक सदियों तक बना रहता है

 अजय जग्गा व आरके गर्ग ने भी अपने विचार रखे

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़,  07 जून :

पर्यावरण सोसाइटी ऑफ इंडिया, चण्डीगढ़ द्वारा ऑफिसर ईआईएसीपी हब और पंजाब राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में किया गया। यह कार्यक्रम पंजाब राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, चंडीगढ़ के सम्मेलन हॉल में आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता हेम सतीजा, उपाध्यक्ष, पर्यावरण सोसाइटी ऑफ इंडिया ने की।

इस संगोष्ठी में सरकारी और निजी स्कूलों के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। वक्ताओं में गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर 23 की डिविनिटी और स्नेहा तथा सेंट ऐन्स कॉन्वेंट स्कूल, सेक्टर 32 की आन्या जिंदल, रूही पुनिया, जेवी जैन, टेशा कुरैरा और नाविका शामिल थीं। विद्यार्थियों ने प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़े चिंताजनक तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए बता कि विश्व स्तर पर हर वर्ष लगभग 430 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है जिसमें से 60 प्रतिशत (लगभग 260 मिलियन टन) अल्पकालिक उपयोग की वस्तुओं के लिए होता है। कुल प्लास्टिक कचरे में 36 प्रतिशत सिंगल यूज प्लास्टिक होता है जिसमें से सिर्फ 9 प्रतिशत ही पुनर्चक्रित किया जाता है। 19 प्रतिशत जलाकर नष्ट किया जाता है, जिससे वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसें उत्पन्न होती हैं। लगभग 50 प्रतिशत लैंडफिल, समुद्र या प्राकृतिक वातावरण में चला जाता है, जहां यह सदियों तक बना रहता है।

पर्यावरण सोसाइटी ऑफ इंडिया के सचिव एन के झिंगन ने एक वीडियो प्रस्तुति के माध्यम से यह बताया कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक किस प्रकार से गंभीर पर्यावरणीय संकट उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने यह भी समझाया कि खराब कचरा प्रबंधन के चलते प्लास्टिक नालियों, नदियों और अंततः समुद्रों तक पहुंच जाता है, जिससे दीर्घकालिक पारिस्थितिकीय क्षति होती है। डॉ. रंजीत कौर, कार्यक्रम अधिकारी, पंजाब राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने 3 आर के महत्व पर बल दिया और बताया कि किस प्रकार कचरे को मूल्यवान संसाधनों में बदला जा सकता है।

इंजीनियर अंकित ने परिषद द्वारा प्लास्टिक कचरे से विकसित उत्पादों जैसे कि फर्नेस ऑयल, कोस्टर, ईंटें, कालीन सामग्री और सड़क निर्माण सामग्री को प्रस्तुत किया।

अधिवक्ता अजय जग्गा, स्टैंडिंग काउंसल, चंडीगढ़ प्रशासन एवं अधिवक्ता परिषद के सदस्य ने प्लास्टिक के उपयोग से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक के भोजन श्रृंखला में प्रवेश करने से डिमेंशिया और फैटी लिवर जैसी गंभीर बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

इस संगोष्ठी में आरटीआई कार्यकर्ता आरके गर्ग, सेकंड इनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं उनकी टीम, आम नागरिक, विभिन्न एनजीओ, पर्यावरण सोसाइटी के सदस्य तथा विद्यार्थियों के अभिभावक उपस्थित रहे। प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान आरके गर्ग ने यह महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया कि यदि सरकार वास्तव में प्लास्टिक उन्मूलन को लेकर गंभीर है तो उसे प्लास्टिक पैकेजिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन पर्यावरण सोसाइटी ऑफ इंडिया की संयुक्त सचिव डॉ. प्रीति कपानी ने किया। उन्होंने सभी उपस्थितजनों को अपने दैनिक जीवन में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग न करने की शपथ भी दिलवाई।

अपने समापन भाषण में हेम सतीजा ने स्पष्ट किया कि उद्देश्य प्लास्टिक को बुरा ठहराना नहीं है, बल्कि प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना है। उन्होंने उचित निपटान, अलगाव और पुनर्चक्रण की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने यह बताया कि एचडीपीई और पीई टी जैसी प्लास्टिक यदि सही तरीके से प्रबंधित की जाए तो उनका पुनर्चक्रण संभव है। यहां तक कि प्लास्टिक कैरी बैग्स भी उपयुक्त पॉलिमर से निर्मित होने पर और स्वच्छ रूप से एकत्रित होने पर पुनर्चक्रित किए जा सकते हैं।

उन्होंने सभी विशिष्ट अतिथियों, पर्यावरणविदों, शिक्षकों और छात्रों का इस महत्वपूर्ण पर्यावरणीय पहल में सक्रिय और सार्थक भागीदारी हेतु आभार व्यक्त किया।