Wednesday, May 28

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता है। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 26 मई 2025

नोटः आज श्री शनिश्चर जयंती है। पितृकार्येषु अमावस तथा वट सावित्री व्रत है।

श्री शनिश्चर जयंती : शनि जयंती, शनि देव के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर आती है। इस साल शनि जयंती 27 मई को मनाई जाएगी। यह दिन शनि देव को समर्पित होता है और भक्त इस दिन विशेष पूजा करते हैं।

ज्येष्ठ मास की अमावस्या, जिसे पितृकार्येषु अमावस्या भी कहा जाता है, इस वर्ष 27 मई 2025 को पड़ रही है। पंचांग के अनुसार यह दिन पितरों की शांति और कृपा प्राप्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध, तर्पण, स्नान, दान और पितृ पूजन का विधान होता है।

मान्यता है कि इस व्रत से पति की उम्र लंबी होती है और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, माता सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे ही अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस पाया था।

विक्रमी सवत्ः 2082, 

शक संवत्ः 1947, 

मासः ज्येष्ठ, 

पक्षः कृष्ण, 

तिथिः चतुर्दशी दोपहर काल 12.12 तक है, 

वारः सोमवार। 

नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही, शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः भरणी प्रातः काल 08.24 तक है, 

योग, शुभ प्रातः काल 07.02 तक है, 

करणः शकुनि 

सूर्य राशिः वृष, चन्द्र राशिः मेष, 

राहू कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,

सूर्योदयः 05.29, सूर्यास्तः 07.08 बजे।