- अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कहा, “पंजाब सरकार के ‘ड्रग्स के खिलाफ युद्ध’ का जमीनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं है, ये सिर्फ कोरी जुमलेबाजी है।”
- उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को जहरीली शराब से हुईं दुखद मौतों की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों से इस्तीफे लेने चाहिए
- उन्होंने कहा कि सरकार दुकानों पर महंगी शराब बेचकर गरीबों को नकली शराब खरीदने पर मजबूर कर रही है
- पंजाब में नशीले पदार्थों और नकली शराब के गंदे कारोबार की जांच के लिए केंद्र से उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का आह्वान किया ताकि पता लगाया जा सके कि इसके पीछे कौन कौन लोग हैं
- ‘जहरीली शराब त्रासदी’ और राज्य में चिट्टे, ड्रग्स और नकली शराब के सेवन से हुई मौतों की जांच हाई कोर्ट के मौजूद जज से करवाए जाने की मांग की
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 16 मई :
अमृतसर के मजीठा निर्वाचन क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से 27 लोगों की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला ने चंडीगढ़ में मीडिया से बात करते हुए कहा कि “पंजाब सरकार के ‘युद्ध नश्यां विरूद्ध’ का जमीनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं है और ये सिर्फ जुमलेबाजी है। अगर सरकार इसको लेकर गंभीर होती तो ये दर्दनाक हादसा होता ही नही।”
उन्होंने बताया कि 2020 में अमृतसर, बटाला और तरनतारन में जहरीली शराब के कारण 120 मौतें हुईं हैं। उसके बाद मार्च 2024 में संगरूर में जहरीली शराब से 20 लोगों की मौत हो गई। औजला ने अफसोस जताते हुए कहा, “कोई नहीं जानता कि दोषियों के साथ क्या किया गया और यही कारण है कि लोगों में कानून का कोई डर नहीं है। अब यह घटना मेरे निर्वाचन क्षेत्र में फिर घटी है।”
औजला ने कहा कि हाल ही में हुई जहरीली शराब से हुई मौतें मौजूदा सरकार के ‘नशा मुक्त पंजाब’ अभियान के दावों की पोल खोलती हैं। औजला ने कहा कि “मुख्यमंत्री को बीते दिनों अमृतसर ‘जहरीली शराब त्रासदी’ में हुई दुखद मौतों की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए, उन्हें उन सभी सरकारी अधिकारियों से इस्तीफा लेना चाहिए जो इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार हैं। उनको किसी भी हालात में छोड़ा नहीं जाना चाहिए।”
औजला ने कहा, “मैं डीजीपी और सरकारी अधिकारियों को पत्र लिखकर इस बारे में चिंता जताता रहा हूं, खासतौर पर अमृतसर और सीमावर्ती इलाकों में नशीली दवाओं की बढ़ती समस्या को लगातार उजागर करता रहा हूं। मैंने लगातार नशीली दवाओं के कारोबार से जुड़े लोगों के गहरे गठजोड़ को उजागर किया है और बार-बार सरकार का ध्यान नशीली दवाओं और अब नकली शराब के मुद्दे की ओर आकर्षित किया है, लेकिन मेरे सभी पत्रों को सरकार द्वारा पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया। अगर, उन पर कुछ विचार कर लिया जाता तो इन 27 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।”
उन्होंने अमृतसर में जुआ (दड़ा सट्टा) के मुद्दे को भी उठाया, और कहा कि ये भी एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि ये लगातार फलफूल रहा है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स, अवैध शराब, दड़ा सट्टा आदि कई ऐसी समस्याओं ने पवित्र शहर अमृतसर की छवि को काफी खराब किया है।
औजला ने कहा, “ड्रग माफियाओं, कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और एक्साइज विभाग सहित पंजाब सरकार के अधिकारियों के बीच खतरनाक गठजोड़ और पूरी तरह से मिलीभगत है। यह गठजोड़ पंजाब के भविष्य को खोखला और तबाह कर रहा है।”
औजला ने कहा, “इन सब हालात को देखते हुए, मैं इस पूरे मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट के किसी मौजूदा जस्टिस की निगरानी में एक हाई-लेवल कमेटी के गठन का पुरजोर आग्रह करता हूं। इस कमेटी को पिछले कुछ वर्षों में पंजाब में ड्रग्स, नशीली दवाओं और जहरीली शराब से हुई मौतों की जांच करनी चाहिए और इस खतरनाक नेटवर्क को खत्म करना चाहिए।”
औजला ने कहा कि अमृतसर में मौजूदा स्थिति बहुत गंभीर है और केंद्र सरकार को भी अमृतसर तथा राज्य के अन्य भागों में नशीले पदार्थों तथा जहरीली शराब को बनाने और इसकी सप्लाई की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के नेतृत्व में एक हाई लेवल डेलीगेशन को पंजाब भेजना चाहिए , तथा यह पता लगाना चाहिए कि इन काले कारोबारों के पीछे कौन लोग हैं।
औजला के अनुसार, यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चौंकाने वाली बात यह है कि जिस इलाके में जहरीली शराब बेची गई और मौतें हुईं, वह पुलिस स्टेशन से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर है। इससे पता चलता है कि इस तरह के अवैध शराब के इस काले कारोबार को पुलिस की सहमति प्राप्त थी और सब कुछ उनकी देखरेख में चल रहा था। उनकी मिलीभगत की भी विस्तार से जांच होनी चाहिए।
औजला ने कहा, “जहां तक शराब की बिक्री का सवाल है, तो ऐसा लगता है कि एक्साइज विभाग के बड़े अधिकारियों और पंजाब सरकार के उच्च अधिकारियों के बीच नापाक सांठगांठ है।”
औजला ने बताया, “पंजाब सरकार केवल राजस्व वसूली पर ध्यान दे रही है। अच्छी क्वालिटी वाली देसी शराब वास्तविक कीमत पर नहीं बल्कि काफी अधिक कीमतों पर बेची जा रही है, जिसके कारण गरीब वर्ग सस्ती और नकली शराब खरीदने को मजबूर हो रहा है। सरकार शराब की दुकानों पर महंगी शराब बेचकर गरीबों को मौत के मुंह में धकेल रही है।” देशी शराब की ऊंची कीमतों को साबित करने के लिए औजला ने मीडिया को विभिन्न देशी शराब ब्रांडों के न्यूनतम बिक्री मूल्य और वास्तविक बिक्री दर के बीच का अंतर भी दिखाया।
औजला ने कहा, “हम सभी जानते हैं कि ‘अवैध शराब निर्माता’ बड़ी मात्रा में इथेनॉल का ऑर्डर दे रहे हैं और राज्य में मंगवा रहे हैं लेकिन राज्य सरकार ने इस संबंध में कुछ नहीं किया है। आखिर इस की आमद को क्यों नहीं रोका गया।”
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के वर्तमान जज द्वारा ‘जहरीली शराब’ त्रासदी की उच्च स्तरीय जांच कर मौतों के लिए जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए। नकली शराब का कारोबार वर्षों से चल रहा है और हैरानी की बात है कि पुलिस, एसटीएफ, एटीएफ और अन्य खुफिया एजेंसियां हैं जो हर छोटी-बड़ी सूचना पर कड़ी नजर रखती हैं, लेकिन वे यह पता नहीं लगा पातीं कि इतनी बड़ी मात्रा में इथेनॉल पंजाब में आ रहा है और इसका इस्तेमाल किस तरह हो रहा है, इसकी भी जांच होनी चाहिए। ऐसा हो नहीं सकता कि किसी भी एजेंसी को पंजाब में आ रहे एथेनॉल के बारे में कुछ पता नहीं चला।
औजला ने आगे कहा, “जांच से यह बात सामने आनी चाहिए कि पंजाब में शराब की अधिक कीमत तय करने के पीछे असली ‘बड़ी मछली’ कौन है।”
इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका भी संदेह के घेरे में है, क्योंकि ये सभी घटनाएं राज्य में पुलिस की भारी मौजूदगी के बावजूद हुई हैं। पंजाब में हर दिन कई लोग मर रहे हैं लेकिन उनकी कहीं कोई गिनती नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि वह अमृतसर और पंजाब को बचाने से पीछे नहीं हटेंगे और इस मुद्दे पर बात करते रहेंगे। इस समय पुलिस अधिकारियों, नेताओं और पंजाब के प्रति वफादार हर वर्ग को अपनी जवाबदेही तय करनी होगी। क्योंकि नशा और नकली शराब धीरे-धीरे पंजाब की जड़ें नष्ट कर रही है। वे पंजाब को इस तरह से तबाह नहीं होने देंगे और इसके खिलाफ डटकर खड़े रहेंगे।