पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 24 अप्रैल 2025
नोटः आज वारूथनी एकादशी व्रत है। तथा श्री बल्लाभाचार्य जयंती है।

वरूथिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही धन- समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं वरुथिनी एकादशी का व्रत अन्नदान, कन्यादान दोनों श्रेष्ठ दानों का फल मिलता है। पुराण के अनुसार जो लोग श्रद्धा भाव से एकादशी का व्रत रखते हैं वह उत्तम लोक को जाते हैं और पुण्य प्रभाव से वह मुक्ति को भी प्राप्त हो जाते हैं। एकादशी के व्रत में दशमी तिथि से ही व्रती को नियम और संयम का पालन करना होता है। और एकादशी के दिन व्रत रखने के बाद द्वादशी के दिन पारण करना होता है।

श्री वल्लभाचार्य द्वारा प्रतिपादित शुद्धाद्वैत दर्शन यह मानता है कि ब्रह्म (भगवान श्रीकृष्ण) ही एकमात्र सत्य है और यह संसार भी उसी ब्रह्म का अभिन्न रूप है। माया से रहित शुद्ध और वास्तविक। उनके अनुसार जीव भी ब्रह्म का अंश है और उसके साथ उसका संबंध प्रेम और सेवा का होना चाहिए। ब्रह्म शुद्ध है जीव शुद्ध है और जगत शुद्ध है। वल्लभाचार्य जी ने तीन भारत परिक्रमाओं के माध्यम से अपनी शिक्षाओं का प्रसार किया, विद्वानों के साथ बहुत ही मार्मिक व उच्च स्तरीय चर्चा की, जिससे उन्हें जगद्गुरु जैसी उपाधियां और कनकाभिषेक जैसे सम्मान प्राप्त किया और उन्होंने वल्लभाचार्य षोडश ग्रंथ, सुबोधिनीजी और मधुराष्टकम् सहित अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। जो आज भी भक्तों और विद्वानों के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन का स्रोत के रूप में विख्यात है।
विक्रमी सवत्ः 2082,
शक संवत्ः 1947,
मासः वैशाख़
पक्षः कृष्ण,
तिथिः एकादशी सांयः काल 02.33 तक है,
वारः गुरूवार।
नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः शतभिषा प्रातः काल 10.49 तक है,
योग , ब्रह्म अपराहन् काल 03.56 तक है,
करणः बालव,
सूर्य राशिः मेष, चन्द्र राशिः कुम्भ,
राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.51, सूर्यास्तः 06.48 बजे।