डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 23 अप्रैल :
भारत में महिलाओं, बच्चों, जानवरों, पर्यावरण और कई अन्य वर्गों के लिए आयोग हैं, लेकिन पुरुषों के लिए कोई राष्ट्रीय स्तर की वैधानिक संस्था नहीं है। ये बात सेव इंडियन फैमिली (एसआईएफ), चण्डीगढ़ के अध्यक्ष रोहित डोगरा ने राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर एक ऐतिहासिक और शांतिपूर्ण प्रदर्शन सत्याग्रह फॉर मेन के दौरान उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कही, जिसमें हज़ारों की संख्या में चिंतित नागरिक, पुरुष और उनके परिवार के सदस्य एकत्र हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन सेव फैमिली फाउंडेशन द्वारा किया गया, जो पारिवारिक सामंजस्य और पुरुषों के अधिकारों के लिए काम करने वाला एक प्रमुख गैर-सरकारी संगठन है।
रोहित डोगरा ने आगे कहा कि राष्ट्रीय पुरुष आयोग सिर्फ एक मांग नहीं, समय की आवश्यकता है। हर दिन हम देखते हैं कि पुरुष झूठे मामलों, घरेलू हिंसा और कानूनी शोषण के कारण आत्महत्या कर रहे हैं।एक समर्पित आयोग नीति सुझाव, शिकायत निवारण और संकटग्रस्त पुरुषों को समर्थन देने का ढांचा बना सकता है। अब सांकेतिक कदमों से काम नहीं चलेगा, हमें संरचनात्मक बदलाव की ज़रूरत है।
सत्याग्रह के तहत भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय और अन्य संबंधित विभागों को ईमेल याचिकाएं और प्रस्ताव भेजे गए, ताकि वे पुरुषों से जुड़े इस गहराते संकट को स्वीकार कर इस पर कार्यवाही करें।
उन्होंने शौक़ नहीं मजबूरी है, पुरुष आयोग ज़रूरी है का नारा भी बुलंद किया।
इस सत्याग्रह में सेव इंडियन फैमिली मूवमेंट से जुड़े 40 से अधिक संगठनों की भागीदारी रही, जिससे यह पुरुषों से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित अब तक का सबसे बड़ा वैश्विक प्रदर्शन बन गया।
इस विरोध प्रदर्शन में पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, झारखंड सहित कई राज्यों से पुरुष, महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक शामिल हुए।इस कार्यक्रम में ट्राई-सिटी चंडीगढ़ से लगभग सवा सौ लोग शामिल हुए।
देशभर से आए पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं, कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मंच से पुरुषों के साथ हो रहे अन्याय पर अपनी बात रखी और कई गंभीर मुद्दों को उठाया, जिन पर वर्षों से सरकारें चुप रही हैं।
इस भावनात्मक कार्यक्रम में उन शोक संतप्त परिवारों की भागीदारी भी शामिल रही, जिन्होंने अपने बेटों को वैवाहिक उत्पीड़न और कानूनी शोषण के चलते खो दिया। इनमें अतुल सुभाष, पुनीत खुराना, और सौरभ राजपूत के परिवार भी शामिल थे।