Wednesday, April 16

मैं जलियांवाला बाग हूंँ, आज भी यादें छपी हुई है, मेरी दरों दीवारों पर…

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 14 अप्रैल :

आचार्य कुल, चण्डीगढ़ और संवाद साहित्य मंच की ओर से बैसाखी के अवसर पर ओ जट्टा आई बैसाखी पर केंद्रित बहू भाषी कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ और जरुरतमंद बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई। यह कार्यक्रम सेक्टर 43 के कम्युनिटी सेंटर के सभागार में आयोजित किया गया। इस के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध शायर अशोक नादिर, विशिष्ट अतिथि सौभाग्य वर्धन और डी एस पी साउथ जसविंदर सिंह थे जबकि अध्यक्षता पार्षद प्रेमलता ने की। कार्यक्रम का संचालन डॉ संगीता शर्मा कुंद्रा गीत ने किया। कवित्री पल्लवी रामपाल ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। तत्पश्चात संवाद साहित्य मंच अध्यक्ष प्रेम विज ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया और डॉ अनीश गर्ग ने अतिथियों का परिचय दिया। आचार्य कुल संस्था के अध्यक्ष केके शारदा ने प्रतिभाशाली जरुरतमंद विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जिनमें सिविल सर्विस की तैयारी कर रही योगिता को और एमसीएमडीएवी कॉलेज की विद्यार्थी अंकिता भी शामिल थीं। आचार्यकुल प्रतिभाशाली जरूरतमंद बच्चों की हमेशा ही सहायता करता रहता है।
त्रिभाषी गोष्ठी में लगभग 40 कवियों ने अपनी कविताओं से बैसाखी के त्यौहार का और जलियांँवाले बाग पर कविताएं प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। डॉ प्रज्ञा शारदा ने अपनी कविता में जलियांँवाला बाग  के हत्याकांड पर हृदय स्पर्शी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि मैं जलियांवाला बाग हूंँ, आज भी यादें छपी हुई है, मेरे दर दीवार पर। डेज़ी बेदी ने कहा कि वैसाखी तेरी बुक्कल व्हिच लुक्कियाँ कीनियाँ ही बातां ने। डॉ संगीता शर्मा कुंद्रा गीत ने कहा  कि पसीने से सींची जो धरती, बैसाखी में उनकी मेहनत सजी, भांगड़ा, गिद्दा ढोल की ललकार, बैसाखी लाइ खुशियांं अपार, प्रेम विज ने बैसाखी पर कविता पेश करते हुए कहा कि भंगड़ा गिद्दा लेकर आई बैसाखी/खुशियों को लेकर आई बैसाखी।
इनके अलावा पल्लवी रामपाल, मनोरमा श्रीवास्तव , जगतार सिंह जोग, डॉ अनीश गर्ग, डेज़ी बेदी, आर.पी.मल्होत्रा,अशोक नादिर, दीपक चनारथल, विजय कपूर, विमला गुलामी, राजेश, किरण सेतिया, त्रिषला, अन्नूरानी शर्मा, अमृत सोनी अमृत, डॉ प्रज्ञा शारदा, विनोद शर्मा, शायर भट्टी, अमनदीप सिंह, विजय सौदाई, किरण अहुजा, विनोद कश्यप, अनीता गरेजा, नरिंदर नींदी, योगिता, अंकिता ने कविताओं को पेश कर बैसाखी का माहौल पैदा कर दिया और ढोलकी ताल में सबको नाचने पर मजबूर कर दिया। अंत में आचार्य कुल संस्था के सलाहकार दीपक चनारथल ने सबका धन्यवाद किया।