Sunday, April 13

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 09 अप्रैल :

पंजाब एवं हरियाणा के माननीय उच्च न्यायालय ने सुमन वर्मा एवं अन्य बनाम सुधीर राजपाल, आईएएस व अन्य के मामले में पारित आदेश के तहत, डॉक्टर मनीष बंसल, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा के खिलाफ 1971 के न्यायालय की अवमानना अधिनियम की धारा 10 और 12 के अंतर्गत आरोप तय किए हैं। यह आरोप माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अप्रैल 2024 को पारित आदेश की अवहेलना के लिए लगाए गए हैं, जिसमें उन्हें याचिकाकर्ता सुमन वर्मा और भूसन लाल, जो कि हरियाणा स्वास्थ्य विभाग में लैब तकनीशियन के पद पर कार्यरत हैं, के वेतनमान में सुधार करने का निर्देश दिया गया था।

राजकुमार मक्कड़ और हिमानी मक्कड़, अधिवक्ता, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, जो याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रकट हुए, ने बताया कि वर्ष 1998 में हरियाणा स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रोन्नत लैब तकनीशियनों को सीधे भर्ती किए गए लैब तकनीशियनों की तुलना में अधिक वेतनमान दिया गया, जो कि भेदभावपूर्ण था। इस आदेश को याचिकाकर्ताओं ने सिविल रिट याचिका संख्या 16100/1999 के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसे दिनांक 18.04.2022 को स्वीकृत किया गया और हरियाणा सरकार को यह विसंगति दूर कर याचिकाकर्ताओं को बकाया राशि 9% वार्षिक ब्याज सहित प्रदान करने का आदेश दिया गया।

मक्कड़ ने आगे बताया कि राज्य सरकार द्वारा दायर LPA संख्या 949/2022 को भी उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने खारिज कर दिया, और इसके पश्चात सर्वोच्च न्यायालय ने भी दिनांक 17/12/2024 को राज्य सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया। यद्यपि हरियाणा सरकार ने 1999 में पारित आदेश का पालन किया, परंतु याचिकाकर्ताओं को समान लाभ नहीं दिया गया, जिससे उन्हें श्री सुधीर राजपाल (आईएएस), अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग, हरियाणा; डॉ. मनीष बंसल, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं; एवं डॉ. जितेंद्र, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा के विरुद्ध अवमानना याचिका दायर करनी पड़ी। यह लाभ डॉ. मनीष बंसल द्वारा वित्त विभाग के माध्यम से जारी किया जाना था, किंतु पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद उन्होंने दिनांक 30.04.2024 के आदेश का पालन नहीं किया।

माननीय न्यायालय ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया और डॉ. मनीष बंसल को खुली अदालत में बुलाकर उनके खिलाफ 1971 के न्यायालय की अवमानना अधिनियम की धारा 10 और 12 के अंतर्गत आरोप तय किए। यह उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता सुमन वर्मा एक दिव्यांग व्यक्ति हैं और ऐसे व्यक्तियों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता।
श्री मक्कड़ ने आगे बताया कि हरियाणा का वित्त विभाग भी न्यायालय की अवमानना के लिए समान रूप से उत्तरदायी है और इसीलिए डॉ. अनुराग रस्तोगी, अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्त विभाग, हरियाणा को भी उत्तरदाता बनाया जा रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति न्यायालय के कार्य में बाधा उत्पन्न न करे और याचिकाकर्ताओं को न्याय मिल सके।