प्रेम रंग में डूबी ऐसी, हो गई लालम लाल।
चढ़ो रंग उतरै ना ‘माही’, चाहे उतरै खाल।।”


नज़र को नज़र से, मिलाकर बुलाया…
भँवर से कहा, तुम करो ना शरारत…!
ये होली का दिन है, करो ना शरारत…!
शरारत…शरारत…शरारत…शरारत…!
ये होली का दिन है, करो ना शरारत…!
नज़ाकत के तीरों से, करती हो घायल…
है छन-छन छनकती, ये पैरों में पायल…!
हो कमसिन बढ़ी, चाँदनी सा बदन है…
हूँ पहली नज़र से, ही मैं तेरा कायल…!!
चुरा लूँ तुझे मैं, तो आकर तुझी से…
समर्पण करे जो, तू अपनी ख़ुशी से…!!!
वो बोली हया से, करो ना शरारत…
शरारत…शरारत…शरारत…शरारत…!!
ये होली का दिन है करो ना शरारत…!!!
सुधा प्रेम रँग में, तू ऐसा डुबा दे…
रहे कुछ न बाकी, तू ऐसा भिगा दे…!
तनिक पास जाकर मैं बोली पिया से…
मेरे अँग-अँग पे रँग तू लगा दे…!
मगन होके बोली, उठा रुख से पर्दा…
समर्पित हो तुझको, करूँ मैं तो सजदा..!
मचलता ये तन-मन, करो ना शरारत
शरारत…शरारत…शरारत…शरारत…!!
ये होली का दिन है करो ना शरारत…!!!
समा मुझको ख़ुद में, तू रख लाज मेरी…
तू मोहन, मैं राधा, तू मेरा, मैं तेरी…!
मैं सदियों से तेरे, लिए ही खड़ी हूँ…
भला फिर तू काहे, करे आज देरी…!
रंगीला आ रँग दे, तू अपने ही रँग में…
ढलूँ आज ‘माही’ मैं तोरे ही ढँग में…!
कहाँ हो प्रिये तुम, करो ना शरारत
शरारत…शरारत…शरारत…शरारत…!!
ये होली का दिन है करो ना शरारत…!!

ढोल बाजै , ढोल बाजै , ढोल बाजै रे
फागुन आयो, फागुन आयो रे…
होरी है…………..!
भर पिचकारी मारी श्याम ने,
राधा रंग लगावै रे…!
झूम-झूम कर नाचै मनवा..2
मंगल गीत सुनावै रे..!
ढोल बाजै , ढोल बाजै , ढोल बाजै रे
फागुन आयो, फागुन आयो रे…
होरी है……………!
लोग लुगाई निकरे घर तैं ,
लै लै अपनी टोली…!
भरि भरि कण्ठ लगावें सबकूँ-
बोलें मीठी बोली…!
भूनि रहै गेंहूँ की बालें-
पूजि रहे सब होरी….!
देखो लायी-2 पकवानों से….थाल सजाकर गोरी..!
ढोल बाजै , ढोल बाजै , ढोल बाजै रे..!!
फागुन आयो, फागुन आयो रे…
होरी है……………!
कान्हा के संग राधा देखो-
करती खूब ठिठोली..!
बात बात पर देती उसको-
देखो मीठी गोली…!
उढ़ा चुनरिया कान्हा को-
पहनाया लहंगा चोली…!
देखो छेड़ें-2 सारी सखियाँ- राधा खेलै होरी..!
ढोल बाजै , ढोल बाजै , ढोल बाजै रे…!!
फागुन आयो, फागुन आयो रे…!
होरी है……………!
किधर छुपे हो मोरे बलमा-
ढूँढे अखियाँ मोरी…!
अंग से अंग मिलाओ सजना-
खेलो हम सँग होरी…!
रंग अभीर गुलाल लिए मैं-
कब तक तोहि पुकारूँ..!
देखो बरसे- 2 नैनों अमृत- राह निहारूँ तोरी..!
ढोल बाजै , ढोल बाजै , ढोल बाजै रे…!
फागुन आयो, फागुन आयो रे…
होरी है…………….!
फूलों से घर द्वार सजाया-
बंधनवार लगाये…!
अब तो आ भी जाओ ‘माही’-
हमसे रहा न जाये…!
आकर सजना कण्ठ लगालो-
तुम बिन कुछ ना भाये…!
देखो बीती-2 जायें घड़ियाँ, मैं ना रह जाऊँ कोरी…!!
ढोल बाजै , ढोल बाजै , ढोल बाजै रे…!!
फागुन आयो, फागुन आयो रे…
होरी है…………….!