Sunday, February 23
  • एसडी कॉलेज में पब्लिक और एनवायरनमेंटल हेल्थ पर आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस संपन्न
  • कांफ्रेंस के दो दिनों में पब्लिक हेल्थ में महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने की रणनीतियों पर किया गया विचार-विमर्श
  • चंडीगढ़ फोरम फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी और इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी (चंडीगढ़ चैप्टर) के तत्वावधान में आयोजित हुई कांफ्रेंस

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 22 फ़रवरी :

सेक्टर-32 स्थित गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म कॉलेज की ओर से चंडीगढ़ फोरम फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी और इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी (चंडीगढ़ चैप्टर) के तत्वावधान में ‘पब्लिक और एनवायरनमेंटल हेल्थ में वर्तमान परिप्रेक्ष्य’  विषय पर आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस शनिवार को संपन्न हो गई। शनिवार को आयोजित समापन सत्र में पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस-चांसलर प्रो.आरसी सोबती प्रोफेसर (डॉ.) आरसी सोबती ने वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाने में निरंतर सहयोग के महत्व पर जोर दिया। कांफ्रेंस के दो दिनों में पब्लिक हेल्थ में महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने की रणनीतियों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। कार्यक्रम की आयोजन सचिव डॉ. नीलू महाजन और डॉ. ज्योति कटारिया ने वक्ताओं, प्रतिभागियों और स्वयंसेवकों के अमूल्य योगदान की सराहना की।
यह कांफ्रेंस चंडीगढ़ प्रशासन के साइंस एंड टेक्नोलॉजी और रिन्यूएबल एनर्जी विभाग द्वारा प्रायोजित थी। कांफ्रेंस की शुरुआत जीजीडीएसडी कॉलेज सोसाइटी, चंडीगढ़ के महासचिव प्रोफेसर एसके शर्मा के स्वागत भाषण के साथ हुई थी। कांफ्रेंस में आए अतिथियों का स्वागत पौधे देकर किया गया था। चंडीगढ़ प्रशासन के साइंस एंड टेक्नोलॉजी और रिन्यूएबल एनर्जी विभाग निदेशक तथा उप वन संरक्षक नवनीत के. श्रीवास्तव कांफ्रेंस के उद्घाटन के मौके पर मुख्य अतिथि थे। जबकि इंस्टीट्यूट आफ डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन (आईडीसी) और सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन सोशल साइंस एंड मैनेजमेंट (सीएएसएसएम), चंडीगढ़ के चेयरपर्सन डॉ.प्रमोद कुमार सम्मानित अतिथि के तौर पर मौजूद थे।
उद्घाटन के दौरान पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित पीजीआई, चंडीगढ़ के पूर्व निदेशक प्रोफेसर जगत राम ने वैश्विक स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रभाव पर मुख्य भाषण दिया। उन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए कार्रवाई उन्मुख स्वास्थ्य अनुकूलन योजना की आवश्यकता पर बल दिया था। वहीं, जीजीडीएसडी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अजय शर्मा ने औपचारिक भाषण दिया था। उन्होंने एकेडमिक्स में सहयोग और ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। जीजीडीएसडी कॉलेज सोसायटी के उपाध्यक्ष डॉ. सिद्धार्थ शर्मा ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए पर्यावरणीय स्थिरता पर इस तरह के सम्मेलनों की आवश्यकता पर बल दिया। कांफ्रेंस में पांच तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रख्यात वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। अंतर्राष्ट्रीय वक्ता ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी से डॉ. अनिल कौल और डॉ. रश्मि कौल शामिल थे।  डॉ. विक्रांत राय वेस्टर्न यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, डॉ. जगमोहन सिंह थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी, फिलाडेल्फिया, यूएसए और प्रो. मासातोशी वतनबे ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मेडिसिन, मी यूनिवर्सिटी, जापान ने सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित वर्तमान और भविष्य के परिप्रेक्ष्य पर अपने विचार साझा किए।
कांफ्रेंस के पहले दिन तकनीकी सत्र की शुरुआत डॉ. नरिंदर के मेहरा (पूर्व डीन, एम्स, नई दिल्ली व  उपाध्यक्ष, इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी) की प्रस्तुति से हुई थी, जिन्होंने ‘वायु प्रदूषण और एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध का दोहरा संकट’ विषय पर लेक्चर दिया था। ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी, स्टिलवाटर, यूएसए के डॉ. अनिल कौल ने इस अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया था कि अगली महामारी की तैयारी में एक बहुआयामी दृष्टिकोण शामिल है जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य, नीति, अनुसंधान और सामुदायिक भागीदारी शामिल है। डॉ. मनफूल सिंघल ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए रेडियोलॉजी में टिकाऊ प्रथाओं के उपयोग पर जोर दिया।
संयुक्त राज्य अमेरिका में वेस्टर्न यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के डॉ. विक्रांत राय ने दूसरे तकनीकी सत्र के लिए उद्घाटन व्याख्यान दिया था। ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रसिद्ध इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. रश्मि कौल ने ह्यूमन पेपिलोमा वायरस से प्रेरित सर्वाइकल कैंसर के लिए बायोमार्कर की खोज पर एक विचारोत्तेजक सत्र दिया। डॉ. जगमोहन सिंह, डॉ. एस.के. सिन्हा, डॉ. बसंत कुमार और डॉ. हरजोत सिंह ने भी अपने विचार रखे। दूसरे दिन डॉ. रुपिंदर कौर, डॉ. नवीन के. गोयल और डॉ. दिनेश कुमार वालिया, डॉ. राज श्री, डॉ. नीलिमा मिश्रा, डॉ. इकरीत सिंह बल, डॉ. सुरिंदर राणा और प्रोफेसर डॉ. पंकज मल्होत्रा ​​की उपस्थिति रही। दो दिवसीय कांफ्रेंस में 250 प्रतिभागियों ने भाग लिया था और शिक्षकों, शोधार्थियों तथा स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्रों द्वारा 50 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। छात्रों, शोधकर्ताओं और शिक्षकों द्वारा प्रभावी हेल्थ मैनेजमेंट और सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज से संबंधित ओरल प्रेजेंटेशन भी दी गई।