Saturday, February 8

अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, सोमनाथ भारती और सौरभ भारद्वाज समेत आम आदमी पार्टी (आआपा) की पूरी बड़ी लीडरशिप को जनता ने अच्छे से आईना दिखा दिया। पिछले वर्ष ही अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद छोड़कर आतिशी को कमान सौंप दी थी। भाजपा इस बार प्रचार के दौरान ज्यादा मुखर थी। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से निकली पार्टी पर घोटाले के गंभीर आरोप लगे। वीआईपी कल्चर को नकारने वाले अरविंद केजरीवाल शीशमहल के मुद्दे पर ही घिर गए।

  • ‘आआपा’ के 4 चमकते चेहरे धराशायी
  • मोदी की गारंटी – दिल्ली ने दिल से मानी
  • धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करता रहा
  • उम्मीदों के आसमान का मिथक और भ्रम टूटा तो जमीन पर ले आई जनता
  • दिल्ली के चुनावी परिणाम आने के बाद दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने एक नोटिस जारी किया है।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 08 फ़रवरी :

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बड़ा बहुमत पाया है। तकरीबन 27 साल बाद भाजपा दिल्ली की सत्ता में वापसी कर रही है। वहीं अरविंद केजरीवाल की आआपा को करारा झटका लगा है। यहां तक कि खुद केजरीवाल अपनी सीट हार गए हैं। दिल्ली के चुनावी परिणाम आने के बाद दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने एक नोटिस जारी किया है।

प्रशासन ने सुरक्षा संबंधी चिंताओं और दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया है। सामान्य प्रशासन विभाग की अनुमति के बिना कोई भी फाइल/दस्तावेज, कंप्यूटर हार्डवेयर आदि दिल्ली सचिवालय परिसर से बाहर न ले जाए, इसके लिए ये आदेश दिया गया। 

केजरीवाल-मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े चहरे हार गए हैं। हालांकि, आतिशी ने कालकाजी सीट से जीत दर्ज की है। दिल्ली की सभी 70 सीटों पर पांच फरवरी को मतदान हुआ था और इस बार 60.54 फीसदी मतदान हुआ है, जबकि दिल्ली में पिछली बार 62.60 प्रतिशत मतदान हुआ था।

भाजपा ने आआपा को दिल्ली में जीत का चौका लगाने से रोक दिया। अब तक के रुझान बता रहे हैं कि भाजपा यहां 27 साल बाद सत्ता में वापसी करती दिख रही है। 27 साल पहले भाजपा की सुषमा स्वराज 52 दिन के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं। अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आतिशि ने दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली चुनाव का परिदृश्य बदल गया। भाजपा मुखर हो गई। वहीं, कांग्रेस ने भी इस तरह टिकट बांटे, जिसने आआपा को कई सीटों पर आसान जीत से रोक दिया।