- प्राणायाम के द्वारा मन को वश में किया जा सकता है: आचार्य अंकित प्रभाकर
- प्रभु सारी दुनिया से ऊंची तेरी शान है, भूपेंद्र सिंह आर्य ने प्रस्तुत किए मधुर भजन
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 06 फ़रवरी :
सभी को लगता है कि हम कर्म कर रहे हैं। मगर ऐसा नहीं है क्योंकि हम एक बहाव में बह रहे हैं। हमें यह लगता है कि फैसला हमारा है परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। हमें स्वयं निर्णय लेकर मन से जागरूक होना चाहिए। उपरोक्त उदगार प्रवचन के दौरान केन्द्रीय आर्य सभा के तत्वाधान में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के द्वितीय जन्म शताब्दी समारोह एवं आर्य समाज स्थापना के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में चण्डीगढ़, पंचकूला, मोहाली की सभी आर्य समाजों एवं आर्य शिक्षण संस्थाओं के सम्मिलित प्रयास से आर्य समाज सैक्टर 7-बी, चण्डीगढ़ आयोजित समारोह के दौरान आचार्य अंकित प्रभाकर ने व्यक्त किये।उन्होंने कहा कि हमें स्वयं निर्णय लेकर मन से जागरूक होना चाहिए। वही व्यक्ति जागरूक होगा जो खुद फैसला लेता है। हमारा हर कार्य नियंत्रित होना चाहिए। कोई चीज खींच कर रखें या बलपूर्वक किसी कार्य करने को प्रेरित करें तो वह राग की अवस्था है। अभ्यास के द्वारा वैराग्य की अवस्था को प्राप्त किया जा सकता है। शारीरिक और मानसिक रूप से अभ्यास की अति आवश्यकता है। शारीरिक रूप से किया गया अभ्यास एकाग्रता को बढ़ाता है। हर व्यक्ति को इस एकाग्रता की अति आवश्यकता है। मानसिक प्राणायाम के अंतर्गत श्वाश को अंदर खींचकर कुछ क्षण के लिए अंदर रोक कर रखें और श्वाश बाहर निकालते हुए कुछ पल बाहर रोककर रखें। इससे तन और मन स्वस्थ रहेगा। मन सभी विचार छोड़कर एक जगह टिक जाता है। इसलिए प्राणायाम के द्वारा मन को वश में किया जा सकता है। हमें प्रतिदिन नए कार्य करने चाहिए। जो शुभ कार्य कठिन हैं और हम अभ्यास करने से टलते हैं। उसे अवश्य करना चाहिए। हमें कार्य संपूर्ण करने के लिए आलस्य का त्याग करना चाहिए। उद्देश्य निर्धारित करके उसे पर अमल अवश्य करें। इससे आत्मविश्वास जागृत होता है। भजन उपदेशक भूपेंद्र सिंह आर्य ने प्रभु सारी दुनिया से ऊंची तेरी शान है और झूठ नहीं कहता हूं सांच आदि मधुर भजनों से उपस्थित लोगों को आत्म विभोर कर दिया।