पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 03 फरवरी 2025
नोटः आज रथ सप्तमी व्रत (पूर्व अरूणोदय वाली) है। तथा पुत्र आरोग्य व्रत एवं भानु सप्तमी है। रथ सप्तमी का व्रत माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार ये पूरी तरह से भगवान सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन किए गए स्नान, दान, होम, पूजा आदि सत्कर्म हजार गुना अधिक फल देते हैं। इस दिन पूजा और उपवास से आरोग्य तथा संतान की प्राप्ति होती है इसलिए इसको आरोग्य सप्तमी और पुत्र सप्तमी भी कहा जाता है। इसी दिन से सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं ,इसलिए इसको रथ सप्तमी भी कहते हैं। भानु सप्तमी के दिन सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता है और मानसिक शांति मिलती है। इस बार ये 04 फरवरी को है।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः माघ़
पक्षः शुक्ल,
तिथिः सप्तमी रात्रिः काल 02.31 तक है,
वारः मंगलवार।
नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन, मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।
नक्षत्रः अश्विनी रात्रिः काल 21.50 तक है,
योग शुभ रात्रिः काल 12.06 तक है,
करणः गर,
सूर्य राशिः मकर, चन्द्र राशिः मेंष,
राहू कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक,
सूर्योदयः 07.12, सूर्यास्तः 05.59 बजे।