Friday, January 10
  • बार-बार सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी, याददाश्त में कमी, दौरे कमजोरी ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं : डॉ. नेहा राय
  • एक दिन में 460 मौतें भारत को ट्रामा दुर्घटनाओं को गंभीरता से लेने के लिए मजबूर कर रही हैं

तरसेम दीवाना, डेमोक्रेटिक फ्रंट, हुशियारपुर, 10 जनवरी  : 

विभिन्न प्रकार की न्यूरो समस्याओं और उनके उपचार विकल्पों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए लिवासा अस्पताल होशियारपुर के डॉक्टरों की एक टीम ने आज मीडिया कर्मियों को संबोधित किया। इस अवसर पर लिवासा अस्पताल होशियारपुर में न्यूरो सर्जरी कंसलटेंट डॉ. रिदीप सैकिया और डॉ. नेहा राय मौजूद थे। लिवासा अस्पताल 5 अस्पतालों, 750 बिस्तरों. 280 आईसीयू बिस्तरों, 06 कैथ लैब, 20 मॉड्यूलर ओटी के साथ पंजाब का सबसे बड़ा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल नेटवर्क है और हेल्थकेयर चैन हर साल 3 लाख से अधिक मरीजों का इलाज कर रही है। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. नेहा राय ने कहा कि लिवासा अस्पताल होशियारपुर न्यूरो साइंस के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बन गया है क्योंकि इसमें ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर, न्यूरो ट्रॉमा, मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी, नॉन-इनवेसिव स्पाइन सर्जरी-काइ‌फोप्लास्टी जैसी न्यूरो समस्याओं के इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। डिस्क से संबंधित समस्याओं के लिए सर्जरी, पार्किंसंस रोग का उपचार, मिर्गी और सभी प्रकार की कार्यात्मक न्यूरोसर्जरी, सीटी स्कैन, एमआरआई और ब्लड बैंक की इन-हाउस सुविधा एक ही छत के नीचे उपलब्ध है।

इस अवसर पर बोलते हुए डॉ रिदीप सैकिया ने कहा कि, “भारत में ब्रेन ट्यूमर तेजी से बढ़ रहा है। आंकडे चौकाने वाले हैं हर साल 40.000 से 50,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है जिससे आयु-सीमा 20 साल कम हो जाती है।ब्रेन ट्यूमर के कुछ सामान्य लक्षण सिरदर्द (आमतौर पर सुबह में गंभीर), उल्टी, दौरे, शरीर के एक या दूसरे हिस्से की कमजोरी, देखने या सुनने या समझने में कठिनाई है।। ब्रेन ट्यूमर के उपचार में ट्यूमर को हटाना शामिल है. इसके बाद केवल घालक घावों के लिए रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की जाती है। न्यूरो नेविगेशन जैसी उन्नत तकनीकों ने न्यूरो सर्जनों के लिए उन क्षेत्रों में उ‌द्यम करना संभव बना दिया है, जिन्हें लंबे समय से अप्राप्य माना जाता था।

डॉ. नेहा राय ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में 70% लोगों की जान तेज गति से गाड़ी चलाने के कारण जाती है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 12 वर्षों में वैश्विक स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं में 5% की गिरावट आई है, जबकि भारत में इसमें 15.3% की वृद्धि हुई है। भारत में यातायात से संबंधित सभी मौतों में से 83% सड़क दुर्घटनाओं में योगदान करती हैं। लोगों को ‘गोल्डन ऑवर’ अवधारणा के महत्व को जानना चाहिए, जिसका अर्थ है कि किसी भी दुर्घटना के बाद पहले 60 मिनट सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। अगर सही मरीज सही समय पर सही जगह पहुंच जाए तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने यह भी साझा किया कि सड़क दुर्घटनाओं के मामले में पंजाब की सड़कें बहुत घातक है और 2022 में पंजाब में सड़क दुर्घटनाओं में 6122 सड़क दुर्घटनाएं और 4688 मौते हुई।डॉ. नेहा राय ने कहा कि भारत में ट्रॉमा के मामलों में तेज गति से गाड़ी चलाना और सीट बेल्ट न पहनना सिर की चोटों के प्रमुख मामले हैं। इसके अलावा नशे में गाड़ी चलाना, लाल बत्ती तोड़ना, ड्राइवरों का ध्यान भटकाना, ड्राइविंग लेन का पालन न करना और गलत साइड से ओवरटेक करना भारत में सड़क दुर्घटनाओं के अन्य कारण हैं।