डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 06 जनवरी :
आज संस्कार भारती, चण्डीगढ़ एवं बृहस्पति कला केंद्र, चण्डीगढ़ के संयुक्त तत्वधान में साहित्य सरिता काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्कार भारती के मार्गदर्शक प्रोफेसर सौभाग्यवर्धन ने बताया कि नव वर्ष का शुभारंभ 25 कवियों की काव्यात्मक प्रस्तुति के साथ किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अश्विनी शांडिल्य ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ साहित्य विधा प्रमुख डॉ अनीश गर्ग ने अपनी पंक्तियों से किया कि
नये साल को महफ़िल में बुलाया है, बीते साल को दर्शक दीघा में बिठाया है, बिछड़ने का दर्द सुनाने आया है दिसंबर, नया साल आशाओं के गीत लेकर आया है
आरती प्रिय ने कुछ यूं कहा कि
जब नभ में घनश्याम खेलते, तेरे घर का द्वार ठेलते, मांगे जो सहयोग कोई तो, तत्पर हों तैयार, न नाटें
कवियत्री मंजु खोसला ने कहा कि जो मन की करे, कहाये फकीर, जो जग की करे, बनाए तकदीर,
शायर भट्टी ने पढ़ा कि चंचल मन कुछ और दुहाई देता है, पर उसको कुछ और सुनाई देता है, कवि सुरेन्द्र सोनी काकड़ौद ने कहा कि अपने ठौर पहुँच कर मंसी, अपने हाथों से पूर्ण करती प्रसव-प्रजनन की प्रक्रिया, नए ब्लेड से काटती मां से औलाद का नाभि-मोह-बंधन, अनुरानी शर्मा ने कहा कि तू ज़िंदगी की राह पर, दुखों से ना निबाह कर, उदास मन की खोह में, तू मंज़िलों की चाह भर, डॉ. विमल कालिया ने मां पर खूबसूरत पंक्तियां दर्ज की कि ग़र पूरा कर जाती, तो एक सर्दी और आराम से कट जाती, मां, एक अधूरा स्वेटर छोड़ गयी है सलाईयों पर,
डॉ. अनीश गर्ग ने अपनी मार्मिक रचना रखी कि खुशखबरी सुनाई है बेटे ने दोपहर में, वृद्धाश्रम नया खुल रहा है शहर में, एक बेटी होती घर में, फ़र्क पता चल जाता अमृत और ज़हर में…,
इस गोष्ठी में पाल अजनबी, कमल डोगरा, अमर ज़ख्मी, मंजू खोसला, जतिन सलवान, जसविंदर काईनौर, राजन सुदामा, नीरजा शर्मा, कंवलजीत कंवल, बलकार सिद्धू, पल्लवी रामपाल ने अपनी काव्य उपस्थिति दर्ज़ की। संस्कार भारती के अध्यक्ष यशपाल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।