Wednesday, January 8

सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर, 06        जनवरी  :

वर्तमान समय जहां हम सभी आधुनिकता के बंधन में बंध चुके हैं और मोबाइल फोन को ही संदेश आदान प्रदान का साधन समझ बैठे हैं, वंही हमारे समाज में कुछ ऐसे बुजुर्ग भी है जो अपनी सोच और समर्पण भाव से, हमें आधुनिक काल से ऊपर उठा कर हमारी जड़ो से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

वृद्ध अवस्था जीवन का वह चरण है जब व्यक्ति अनुभव, ज्ञान और परिपक्वता से परिपूर्ण होता है। यह उम्र नई शुरुआत करने, समाज को वापस कुछ देने और अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण बनाने का अवसर प्रदान करती है। कई बुजुर्ग इस अवस्था में सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इसी बात की सार्थकता को सिद्ध कर रहे हैं यमुनानगर ने रहने वाले 82 वर्षीय वयोवृद्ध आर-के उप्पल,आपको बता दें कि आर-के उप्पल भारतीय डाक विभाग से हेड पोस्टमास्टर के पद सेवानिवृत्त है। 2003 में सेवानिवृत्त होने के बाद से ही वह समाजिक कार्यों में व्यस्त हो गए थे। आर के उप्पल ने अपनी शारिरिक क्षमता और बढ़ती उम्र को कभी भी समाजसेवा में आड़े नहीं आने दिया। जिससे न केवल वे अपनी ऊर्जा और समय का उपयोग करते हैं, बल्कि समाज के लिए भी योगदान दे रहे हैं।

उनका स्वभाव और लोगों के प्रति स्नेह ही उन्हें सबसे अलग बनाता है। आर के उप्पल हर त्यौहार और विशेष रूप से नववर्ष के अवसर पर अपने हाथ से लिखे शुभ सन्देश लोगों तक पहुँचा रहे हैं। गौरतलब है कि वह होली, दीपावली तथा हर नववर्ष पर हस्त लिखित शुभ सन्देश यमुनानगर और जगाधरी में हजारों लोगों तक पहुचाने का काम करते हैं और यहाँ विशेष बात यह हैं कि वह सभी संदेश पत्रों को स्वंम ही देकर आते हैं जो वास्तव में जटिल और सराहनीय कार्य हैं।

आर के उप्पल का जन्म सन 1943 में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था और उनका अधिकतर जीवन संघर्ष के दौर से गुजरा हैं। 1960 में शिक्षा ग्रहण करने के बाद उनकी नियुक्ति भारतीय डाक विभाग में हो गई थी। अपनी सेवाओं के दौरान ही उन्होंने 1979 से 1982 तक वायरलैस लाइसेंस इंस्पेक्टर के पद पर भी कार्य किया। तत्कालीन समय के पत्राचार की उस परंपरा को आर के उप्पल आज भी उसी प्रकार निभा रहे हैं। यह कार्य उनकी समाज की समृद्धि और खुशहाली के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है। भले ही आर के उप्पल का जीवन संघर्ष और चुनौतियों से भरा रहा हो परन्तु उन्होंने समाज के साथ साथ परिवार को भी समृद्ध बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

आर के उप्पल के दो बेटे और एक बेटी हैं और सभी अपना खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। दोनों बेटे बड़े बड़े पदों पर रहकर देश व अपने पिता आर के उप्पल का नाम रोशन कर रहे हैं। आर के उप्पल का जीवन का अनुभव और ज्ञान के आधार पर समाज के अन्य लोगों को सही मार्गदर्शन मिल रहा है। उनकी कार्यशैली और समाज के प्रति समर्पण भाव युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होता दिखाई दे रहा है।सेवानिवृत्त होने के बाद सामाजिक कार्य में लीन आर के उप्पल यह साबित कर रहे हैं कि सेवा और समर्पण की कोई उम्र नहीं होती। उनका योगदान समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर है। बुजुर्गों का सम्मान करना और उनकी पहल को बढ़ावा देना हर नागरिक और सरकार का कर्तव्य है। उनकी प्रेरणा से समाज एक बेहतर और समरस भविष्य की ओर बढ़ सकता है।