- कोरोना को हराने में हर्बल गार्डेन बना था हथियार, इन मेडिसिनल पौधों में छुपा है प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का राज – डॉ अरुण चंदन
- विश्व भर में अश्वगंधा , का हो रहा इस्तेमाल समोसे , पिज़्ज़ा की टापिंग , न्यूट्रास्यूटिकल मोरिंगा , एलो वेरा , अशोक , करक्यूमिन , काली मिर्च की बढ़ रही है मांग
- अश्वगंधा की मात्रा 5 ग्राम तक ही इस्तेमाल करें अश्वगंधा नींद के लिए सहायक युवाओं में मसल मास बढ़ाने में भी सहायक है
- ट्राई सिटी में 2 लाख अश्वगंधा के पौधों का वितरण होगा , सभी अपने घर में गमले में ही लगाएं अश्वगंधा
- औषधीय पौधों की खेती, संरक्षण और राष्ट्रीय अश्वगंधा अभियान पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आगाज़
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 10 दिसंबर:
एन आई टी टी टी आर सेक्टर 26 मे औषधीय पौधों की खेती और संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज सफल आगाज़ हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र, उत्तर भारत-1, राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड (आयुष मंत्रालय), जोगिंदर नगर (हि.प्र.), ग्रामीण विकास विभाग, एनआईटीटीटीआर चंडीगढ़ और पर्यावरण एवं वन विभाग, चंडीगढ़ प्रशासन के संयुक्त प्रयास से किया गया। कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं इस प्रशिक्षण में चंडीगढ़ और पंजाब के शिक्षकों, किसानों और पर्यावरण प्रेमियों सहित 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया ।
• औषधीय पौधों की खेती और उपयोग पर विशेषज्ञ सत्र: कार्यक्रम में डॉ. अरुण चंदन (क्षेत्रीय निदेशक, राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड) और डॉ. यू.एन. राय (अध्यक्ष, ग्रामीण विकास विभाग, एनआईटीटीटीआर) जैसे विशेषज्ञों ने औषधीय पौधों की खेती, संरक्षण और इनके व्यावसायिक उपयोग पर जानकारी साझा की। • राष्ट्रीय अश्वगंधा अभियान का अनावरण: कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय अश्वगंधा अभियान की शुरुआत की गई, जिसके तहत स्थानीय निवासियों को 2 लाख अश्वगंधा के पौधे वितरित किए जाएंगे।
अश्वगंधा को प्राकृतिक स्वास्थ्य समाधान और व्यापारिक अवसरों के रूप में प्रस्तुत किया गया। • हर्बल गार्डन के विकास पर सत्र: शिक्षण संस्थानों में औषधीय पौधों के हर्बल गार्डन विकसित करने की तकनीकों और इनके लाभों पर चर्चा की गई। • फील्ड विज़िट: प्रतिभागियों को मोहाली में मास्टर ओम प्रकाश द्वारा विकसित औषधीय जड़ी-बूटी गार्डन का दौरा कराया गया, जहां उन्होंने व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
विशेषज्ञों के विचार डॉ. अरुण चंदन ने कहा, “औषधीय पौधों की खेती न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह किसानों और स्थानीय समुदायों के लिए आय का एक स्थायी स्रोत भी बन सकती है।” डॉ. यू.एन. राय ने सामुदायिक भागीदारी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “इस प्रकार के कार्यक्रम नीतियों और जमीनी क्रियान्वयन के बीच की खाई को पाटने में मदद करते हैं।”
डॉ. अभिषेक ठाकुर (सरकारी अस्पताल एवं कॉलेज, बिलासपुर) ने सबसे आसानी से उगाए जाने वाले औषधीय पौधों की जानकारी दी और नव गृह गार्डन बनाने का विचार प्रस्तुत किया। इसके साथ ही उन्होंने स्थानीय स्तर पर लोकल जड़ी बुटियों से च्यवनप्राश निर्माण की प्रक्रिया का भी प्रदर्शन किया।
हर्बल गार्डन के विकास पर सत्र छात्रों में औषधीय पौधों के प्रति रुचि बढ़ाने के प्रयास कांगड़ा के शिक्षक सुनील धीमान (राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता) ने बच्चों को औषधीय पौधों के बारे में पढ़ाने के आकर्षक तरीके साझा किए। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने बच्चों की मदद से स्कूल में 100 से अधिक औषधीय पौधों, सब्जियों और मशरूम लगाया / यहां उगाई गई सब्जियां स्कूल के मध्याह्न भोजन में उपयोग हो रही हैं, जिससे छात्रों में पौधों के महत्व और उपयोगिता के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। भविष्य की योजना कार्यक्रम के आयोजकों ने इस पहल को अन्य क्षेत्रों में विस्तार देने की योजना बनाई है।
आने वाले महीनों में औषधीय पौधों की खेती और उनके व्यापारिक उपयोग पर और भी प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे। यह कार्यक्रम औषधीय पौधों और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
दूसरे दिन के कार्यक्रम अश्वगंधा की खेती व हार्वेस्ट के पश्चात कैसे बनेगा फायदे का सौदा , इस के साथ ही स्कूलों में औषधीय पौधों की जानकारी की आवश्यकता के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा होगी