Saturday, November 30
  • यू. के. के साहित्यकार सर्जन डॉ. कृष्ण कन्हैया के सम्मान में काव्य गोष्ठी 
  • प्रेम विज, डॉ.विनोद शर्मा, संतोष गर्ग, रंजन मंगोत्रा, नेहा नूपुर भी हुए शामिल 

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़,  30   नवंबर:

सैनक्लार के साहित्यिक आयोजन अभिव्यक्ति के अंतर्गत बर्मिंघम यू. के. से सर्जन डॉ कृष्ण कन्हैया के विशेष सम्मान में सैनक्लारा के फाउंडर सदस्य कुमार श्रेय के निजी आवास पर काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। ट्राइसिटी के सुधी साहित्यानुरागी वरिष्ठ साहित्यकारों ने भाग लिया। कुमार श्रेय व अन्य साहित्यकारों ने यू के से पधारे डॉक्टर कृष्ण कन्हैया को स्मृति चिन्ह व शाल ओढ़ाकर कर पुस्तकें भेंट कर सम्मानित किया।पंचकूला से अ.भा. साहित्य परिषद की प्रांतीय उपाध्यक्ष  संतोष गर्ग, संवाद साहित्य मंच चंडीगढ़ के अध्यक्ष प्रेम विज, दैनिक स्टेट समाचार चंडीगढ़ के संपादक साहित्यकार डॉ. विनोद शर्मा, राष्ट्रीय कवि संगम मोहाली इकाई के अध्यक्ष श्री रंजन मंगोत्रा, न्यू चंडीगढ़ से नई पीढ़ी में नव चेतना का संचार करने वाली सुश्री नेहा नूपुर की रचनाओं पर प्रासंगिक चर्चा करते हुए डॉ कृष्ण कन्हैया ने अपनी कविताएं सुनाईं। प्रेम विज ने अपनी व्यंगात्मक कविता के माध्यम से समसामयिक परिस्थितियों का वर्णन करते हुए कहा कि आदमी इन दिनों सांप से अधिक विषैला हो गया है, इसलिए खबर है कि सांप आदमी से डरने लगा है। डॉ. विनोद शर्मा ने अपने गांव के सुंदर चित्र को याद करते हुए कहा कि क्या बताऊं यादें बड़ी विचित्र, आंखों में कैद हुए छाया चित्र। संतोष गर्ग की कविता भी खूब सराही गई – ज़रा गौर से देखो लोगों, फूलों के संग कांटे सोए। नेहा नूपुर की गहरे चिंतन से जुड़ी लम्बी कविता के अंश देखिए- सब चलता रहता है नियमित, जब तक कर्म लीन मस्तिष्क पर, नियति का आघात नहीं होता। मुख्य अतिथि के रूप में सम्मानित व्यक्तित्व डॉक्टर कृष्ण कन्हैया ने टूटते रिश्तों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि रिश्तों को बांधे नहीं, रिश्तो में बंध कर रहें। मां को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक मां रहती है तब तक पूरा परिवार जुड़ा रहता है। मां के जाने के बाद हम घर से दूर हो जाते हैं, घर बिखर जाता है। कुमार श्रेय ने आमंत्रित अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर पुस्तक भेंट के सिलसिले में कार्यक्रम संयोजिका नूपुर बहनों के नाना बालेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव की भोजपुरी एकल काव्य संग्रह ‘मति हेराइल रहे’ पर भी चर्चा हुई। इस पुस्तक के आवरण पृष्ठ को संयोजिका अंकिता नूपुर की कलाकृति से सजाया गया है।विभिन्न सामाजिक विषयों पर सार्थक रचनाओं के पाठ से कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कुमार श्रेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।